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छत्तीसगढ़ के दिव्यांग बच्चों ने किया कमाल, रियलिटी शो के लिए सिलेक्शन - DIVYANG CHILDREN SUCCESS

दुर्ग जिले के दिव्यांग बच्चों ने उत्तराखंड में शानदार परफार्मेंस देकर प्रदेश का नाम रोशन किया है.

Success Story of blind children
दिव्यांग बच्चों ने जीता म्यूजिक कॉम्पिटिशन (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 17, 2025, 6:03 PM IST

Updated : Jan 17, 2025, 11:12 PM IST

दुर्ग :दुर्ग जिले के तीन दिव्यांग बच्चों ने अपने हुनर से छत्तीसगढ़ के साथ ही भिलाई का भी नाम रोशन किया है. ये तीनों बच्चे नेत्रहीन हैं, लेकिन उन्होंने अपने हुनर से उत्तराखंड के रुड़की में आयोजित टीवी रियलिटी शो के ऑडिशन में शानदार प्रदर्शन कर अपना चयन करा लिया है. इस टीवी शो के लिए चयन प्रक्रिया के पहले राउंड में 50 बच्चे सेलेक्ट किए गए हैं.

संगीत प्रतियोगिता में मिली सफलता : उत्तराखंड के रुड़की में रियलिटी शो का मेगा ऑडिशन 8 जनवरी को हुआ. इस टीवी रियलिटी शो के लिए चयन प्रक्रिया के पहले राउंड में 50 बच्चे सेलेक्ट किए गए हैं, जिनमें दुर्ग जिले के तीनों दिव्वयांग बच्चे शामिल हैं.

दिव्यांग बच्चों ने प्रदेश का नाम किया रोशन (ETV Bharat Chhattisgarh)

अभी आगे टीवी राउंड के लिए जो सेलेक्शन होना है, वह 19 जनवरी को उत्तराखंड के देहरादून में होना है. इसके लिए तैयारी की जा रही है. अगर इनका चयन हो जाता है तो एक म्यूजिक शो में तीनों बच्चे दिखाई देंगे : सुरधारा म्यूजिक फाउंडेशन

मधुर आवाज से दर्शक को किया मंत्रमुग्ध : उत्तरांखड में हुईसंगीत प्रतियोगिता में दुर्ग के आयुष गुप्ता, विवेक यादव और लेमन बोरकर ने अपनी प्रस्तुति से सभी को हैरान कर दिया. उनकी गायन शैली, सुरों की सटीकता और आवाज की गहराई ने निर्णायकों को प्रभावित किया. उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत को एक गीत में पिरोया और सबका दिल जीत लिया.

संगीत हमारे लिए सिर्फ कला नहीं, बल्कि जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है. हमने शास्त्रीय संगीत से शुरुआत की और धीरे धीरे अपनी आवाज को अलग अलग विधाओं में प्रशिक्षित किया : आयुष गुप्ता, गायक

बच्चों की सफलता से परिजन गदगद : परिजन इन बच्चों की सफलता से गदगद हैं. आयुष की मां ने कहा कि आयुष ने बचपन से ही संगीत के प्रति रुचि दिखाई थी. हम उसके भविष्य को लेकर चिंतित थे, तब उसने खुद हमें आश्वासन दिया कि वह अपनी आवाज और संगीत से कुछ बड़ा करेगा. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे आयुष ने दिन-रात मेहनत करके यह कामयाबी हासिल की है.

बच्चों की यह सफलता न केवल मेरे लिए बल्कि हमारे पूरे परिवार के लिए गर्व का क्षण है. एक मां के रूप में मैं बस यही चाहती हूं कि मेरा बेटा खुश रहे और अपने सपनों को पूरा करे. समाज में जो लोग किसी भी प्रकार की शारीरिक कमी को कमजोरी मानते हैं, आयुष ने उन्हें गलत साबित किया है : किरण गुप्ता, आयुष की मां

यह प्रतिष्ठित संगीत प्रतियोगिता विशेष रूप से उन प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने के लिए आयोजित की गई, जो अपने जुनून के जरिए समाज को प्रेरित करते हैं. छत्तीसगढ़ के इन तीनों दिव्यांग बच्चों की सफलता ने यह साबित कर दिया कि लगातार प्रयास और समर्पण से कोई भी बाधा पार की जा सकती है.

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Last Updated : Jan 17, 2025, 11:12 PM IST

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