लखनऊ: हापुड़ में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर जबरन कार्रवाई करने के लिए पूरी फौज भेजने के मामले में एसपी अभिषेक वर्मा व एएसपी का तबादला कर दिया गया है. वहीं, अब डीजीपी ने इस घटना को लेकर नाराजगी जाहिर की है. सभी एडीजी जोन और एसपी को निर्देश जारी करते हुए डीजीपी ने कहा कि थानों में सिविल के मामलों को अपराधिक रंग देकर एफआईआर दर्ज कराई जा रही है. इसके अलावा आकस्मिक घटना घटने पर न सिर्फ जिम्मेदार व्यक्ति बल्कि प्रबंधन के लोगों को भी एफआईआर में शामिल किया जा रहा है. इस पर तत्काल रोक लगाई जाए.
हापुड़ घटना के बाद DGP के सख्त तेवर, बोले- थानों में व्यापारियों के खिलाफ किया जा रहा कानून का गलत इस्तमाल - DGP PRASHANT KUMAR
उत्तर प्रदेश डीजीपी प्रशांत कुमार ने हापुड़ मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन पर कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताते हुए यूपी सभी एडीजी और एसपी को सख्त हिदायत दी है. उन्होंने कहा कि कानून का गलत इस्तेमाल न करे.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Jul 18, 2024, 3:26 PM IST
डीजीपी प्रशांत कुमार ने गुरुवार को कहा कि जो मामले सिविल प्रकृति के होते हैं, उन्हें आपराधिक रंग देते हुए एफआईआर दर्ज की जा रही है. इसके अलावा प्रतिष्ठानों, संस्थानों में कोई आकस्मिक घटना या दुर्घटना होने पर प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार व्यक्तियों के अलावा मैनेजमेन्ट स्तर के लोगों को भी एफआईआर में नामजद कर दिया जाता है, जिनका उस घटना से कोई सम्बन्ध नहीं होता है.
डीजीपी ने कहा कि, न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर निर्दोष व्यक्तियों, विशेष रूप से उद्यमियों के खिलाफ निराधार एफआईआर दर्ज किया जाना शासन की प्रदेश में उद्यमियों को आमंत्रित करने और Ease of Doing Business को बढ़ावा देने की नीति के खिलाफ है. इस प्रकार की घटनाओं से व्यवसायी यूपी में निवेश करने से हतोत्साहित हो सकते हैं.
डीजीपी ने सभी पुलिस कप्तानों को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश भी याद दिलाया है जिसमें कहा गया है कि वैवाहिक व पारिवारिक विवाद, व्यापारिक अपराध, चिकित्सीय लापरवाही के प्रकरण, भ्रष्टाचार के प्रकरण, ऐसे प्रकरण, जिनमें एफआईआर दर्ज कराने में अस्वाभाविक देरी हुई हुई तो पहले जांच करायी जा सकती है.
डीजीपी ने निर्देश दिए है कि, उद्यमियों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों जैसे भवन निर्माताओं, फैक्ट्री संचालकों, होटल संचालकों, अस्पताल और नर्सिंग होम संचालकों व स्कूल/ शैक्षिक संस्थाओं के संचालकों के खिलाफ मिलने वाले प्रार्थना पत्रों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच की जाए. व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता/ व्यवसायिक विवाद अथवा सिविल विवादों को आपराधिक स्वरूप देते हुये तो नहीं प्रस्तुत किया गया है. प्रस्तुत किये गये प्रार्थना पत्र से क्या संज्ञेय अपराध का होना प्रमाणिक रूप से स्पष्ट हो रहा है. जांच के दौरान अधिकारी द्वारा वादी तथा प्रतिवादी अर्थात उभयपक्षों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जायेगा. प्रकरण से सम्बन्धित दोनों पक्षों द्वारा उपलब्ध कराये गये अभिलेखों को भी जांच रिपोर्ट के साथ संलग्न किया जाएगा.