देवास: मध्य प्रदेश के देवास जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिला अस्पताल में कार्बेटोसिन इंजेक्शन को लेकर डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया. शुक्रवार को यह प्रशिक्षण यूएसएआईडी संवेग की टीम ने दिया है. साथ ही टीम ने जिला चिकित्सालय में प्रसूति व शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण किया. मध्य प्रदेश में करीब 2 सालों से उपयोग में लिए जा रहे कार्बेटोसिन इंजेक्शन की वजह से प्रसूति महिलाओं की मृत्यु दर में कमी आई है.
कार्बेटोसिन इंजेक्शन के लेकर विशेष ट्रेनिंग
टीम ने सर्व प्रथम जिला चिकित्सालय के लेबर रूम सहित वार्डों में भ्रमण कर डॉक्टरों व स्टॉफ से कार्बेटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग करने, रख रखाव और प्रशिक्षण की जानकारी ली. इसके बाद टीम ने बैठक कर इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की. यूएसएआईडी संवेग में अमेरिका के जैकब्स जेफरी अमेरिका, स्विट्जरलैंड के ओलेग झूरोव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. हरिश कुमार, डॉ. अनिल नागेन्द्र शामिल थे. मध्य प्रदेश में देवास जिला पहला जिला है, जहां जिला चिकित्सालय सहित अन्य शासकीय प्रसव केन्द्रों में प्रसव की तीसरी अवस्था में कार्बेटोसिन इंजेक्शन का उपयोग जुलाई 2022 से किया जा रहा है. इस दौरान प्रसव केन्द्रों के 115 नर्सिंग ऑफिसर, 7 विशेषज्ञ, 20 मेडिकल ऑफिसर को प्रशिक्षित किया गया. विगत 02 वर्षों में 32 प्रसव केंद्रों में 41,321 प्रसव हुए. जिनमें 39,628 महिलाओं को कार्बेटोसिन इंजेक्शन लगाए गए.
आखिर कैसे काम करता है कार्बेटोसिन इंजेक्शन?