हरिद्वार: देवशयनी एकादशी पर तीर्थनगरी हरिद्वार में गंगा स्नान करने और ध्यान, भजन आदि से एकादशी का संपूर्ण फल प्राप्त होता है. साथ ही माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, सालभर में आने वाली 24 एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं. देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत और पूजा पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. नियम अनुसार यदि देवशयनी एकादशी पर पूजा पाठ, व्रत आदि किया जाएं, तो भगवान विष्णु सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं. वहीं, यदि इस दिन हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा स्नान कर व्रत और मंत्रों का जाप किया जाए, तो देवशयनी एकादशी का कई गुना संपूर्ण फल प्राप्त होता है.
देवशयनी एकादशी पर गंगा स्नान, व्रत, पूजा पाठ के बार में हरिद्वार तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल बताते हैं कलयुग में मां गंगा का सबसे अधिक महत्व है. देवशयनी एकादशी पर तीर्थनगरी हरिद्वार में गंगा स्नान किया जाए, तो सभी दुखों और पाप से छुटकारा मिल जाता है. साथ ही भगवान विष्णु प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं. देवशयनी एकादशी पर हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करने से सभी 24 एकादशी का फल प्राप्त होने की धार्मिक मान्यता है.
हरिद्वार में देवशयनी एकादशी की धूम, आस्था की डुबकी लगा रहे श्रद्धालु, जानिये क्या है महत्व - Devshayani Ekadashi in Haridwar - DEVSHAYANI EKADASHI IN HARIDWAR
Devshayani Ekadashi in Haridwar, Bath on Devshayani Ekadashi आज देवशयनी एकादशी है. इस मौके पर हरिद्वार में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही है. देवशयनी एकादशी के मौके पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पुण्य कमाया.
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By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Jul 17, 2024, 1:14 PM IST
|Updated : Jul 17, 2024, 1:22 PM IST
विधिपूर्वक देवशयनी एकादशी पर गंगा स्नान, पूजा पाठ, व्रत करने से जहां भगवान विष्णु प्रसन्न होकर सभी दुखों से छुटकारा दिलाते हैं. वहीं माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन की बरसात करती हैं. जिससे व्यक्ति को जीवन भर धन की कमी नहीं होती है.
उज्ज्वल पंडित बताते हैं देवशयनी एकादशी पर गंगा स्नान करने, व्रत करने और पूजा पाठ करने के बाद दान का भी बहुत बड़ा महत्व है. दान करने से कई जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं. श्रद्धालुओं को विष्णु लोक धाम में स्थान की प्राप्ति होती है. देवशयनी एकादशी चातुर्मास में आती है. देवशयनी एकादशी से हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु और सभी देव सो जाते हैं. इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं. व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्राप्त होता है.