अजमेर : देव पितृ कार्य अमावस्या पर पुष्कर तीर्थ के ब्रह्म सरोवर पुष्कर में स्नान, पितरों के निमित्त पूजा अर्चना और दान पुण्य का विशेष महत्व है. ज्योतिष पंचांग गणित के अनुसार 29 जनवरी 2025 को देव पितृ कार्य अमावस्या रहेगी, जिसको सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं. इस अमावस्या को पुण्य फल दाहिनी माना जाता है. वहीं, पुष्कर तीर्थ के बारे में माना जाता है कि देव पितृ अमावस्या के दिन प्रातः काल में गंगा, दिन में यमुना और शाम को सरस्वती नदी का वास होता है. वहीं, रात्रि को तीनों नदियों का समागम रहता है.
ज्योतिष पंडित कैलाशनाथ दाधीच बताते हैं कि 12 माह की सभी अमावस्या में यह देव पितृ अमावस्या बहुत ही विशेष है और पुण्य फलदायनी है. इस अमावस्या पर तीर्थ में नदियों, समंदर या पुष्कर ब्रह्मा सरोवर में स्नान करने, पितरों के निमित्त पिंडदान, नारायण बलि, तर्पण आदि करने, हवन पूजन करने और श्रद्धा अनुसार दान करने से पितरों को मोक्ष गति प्राप्त होती है. उन्होंने बताया कि महाभारत में लिखा है कि इस अमावस्या को मौन रहकर निराहार, फलाहार रहकर व्रत करने से अक्षय गुना फल मिलता है. भीम ने कठोर तपस्या करके इस अमावस्या को अपने पूर्वजों का तर्पण मार्जन मौन व्रत करके किया था. इससे दिवंगत आत्माएं पूर्वज जो युद्ध क्षेत्र में मारे गए, उन सभी को मोक्ष की प्राप्ति हुई. इस दिन स्नान, दान करने से त्रिवेणी प्रयाग कुंभ पर्व का पुण्य फल मिलता है.