जयपुर: कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा शुक्रवार को देव दीपावली के रूप में मनाई गई. घरों से लेकर देवालयों में आस्था के दीप जलाए गए. मंदिरों में भगवान की विशेष सेवा पूजा की गई. साथ ही आज से पहनावे और खानपान में बदलाव शुरू हो गया. वहीं, गलता तीर्थ में निगम दीपकों से महाद्वीप प्रशासन की ओर से 5100 दीपकों से महाआरती की गई.
दीपावली से 15 दिन बाद कार्तिक महीने के अंतिम दिन कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में मनाया गया. ये दिन कृष्ण स्वरूप भगवान विष्णु की आराधना और देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए खास माना जाता है. यही वजह है कि जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, अक्षयपात्र मंदिर, आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर, राधा दामोदर जी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में विशेष रास की झांकियां सजाई गईं. गोविंददेव जी मंदिर में श्रद्धालुओं ने शाम को विशेष रास पूर्णिमा उत्सव झांकी के दर्शन किए. वहीं, भक्तों ने सैकड़ों दीप जलाकर भगवान की आरती की और फिर मंदिर प्रांगण में ही दीपदान किया.
ज्योतिष आचार्य विनोद शास्त्री ने बताया कि देव दीपावली पर शाम को तुलसी के पौधों, चौराहों और पीपल के पेड़ पर दीपदान करना विशेष फलदायी रहता है. इसी दिन देवताओं ने काशी में अनेक दीए जलाकर खुशियां मनाई थीं. यही कारण है कि हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर काशी में दीपावली मनाई जाती है और देवों की पूजा करते हुए महाआरती की जाती है. वहीं, शहर वासियों की ओर से अब आतिशबाजी भी की जाने लगी है.