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उच्चतम न्यायालयों के आदेशों के बावजूद जयपुर की खुली जेल की जमीन का हस्‍तांरण, सामाजिक संगठन उतरे विरोध में - Land for hospital in Open Jail - LAND FOR HOSPITAL IN OPEN JAIL

जयपुर की खुली जेल की दो-तिहाई जमीन जेडीए की ओर से अस्पताल के लिए आवंटित करने का सामाजिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है. आरोप है कि उच्चतम न्यायालयों के आदेशों के बावजूद सरकार इसकी भूमि को कब्जा किसी और को दे दिया.

Oppose of Hospital in Open Jail
खुली जेल की जमीन का हस्‍तांरण का विरोध (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 31, 2024, 5:03 PM IST

Updated : Aug 31, 2024, 6:02 PM IST

खुली जेल की जमीन पर अस्पताल, विरोध शुरू (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर:उच्चतम न्यायालयों के आदेशों के बावजूद जयपुर की खुली जेल की दो-तिहाई जमीन जेडीए की ओर से अस्पताल के लिए चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग को आवंटित करने के खिलाफ सामाजिक संगठन खड़े हो गए हैं. शनिवार को पीयूसीएल राजस्थान ने प्रेसवार्ता कर आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करते हुए प्रतिबंधात्मक आदेश के बावजूद खुली जेल की भूमि पर कब्जा किसी और को दे दिया. सरकार सम्पूर्णानंद खुली जेल संस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया की ओर अग्रसर है.

अस्पताल की स्थापना का विरोध नहीं: PUCL अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि जयपुर के सांगानेर में स्थित सम्पूर्णानंद खुली जेल की 3.04 हेक्टेयर (30,400 वर्ग मीटर) भूमि में से 2.2 हेक्टेयर (21,948 वर्ग मीटर) भूमि को सैटेलाइट अस्पताल के लिए चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग को आवंटित किया गया है. 3.04 हेक्टेयर में से अब खुली जेल को केवल लगभग 0.84 हेक्टेयर (8452 वर्ग मीटर) भूमि में समेट दिया गया है. इस तरह दो-तिहाई से अधिक भूमि छीन ली गई है.

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जेल की जमीन ही क्यों?:उन्होंने कहा कि खुली जेल में खुद कैदी अपने घर बनाते हैं. जमीन का ही मसला नहीं है, बल्कि लगभग 200 घर, स्कूल, आंगनबाड़ी, स्टाफ क्वार्टर, ऑफिस, हॉल आदि सभी जाएंगे. कविता ने कहा कि PUCL का यह उद्देश्य नहीं है कि सांगानेर में एक सार्वजनिक अस्पताल की स्थापना को रोका जाए. हम सांगानेर के लोगों की कठिनाइयों और समस्याओं के प्रति पूरी सहानुभूति रखते हैं. बात यह है कि अस्पताल की स्थापना के लिए ओपन कैंप (जेल) की जमीन को नहीं छीना जाना चाहिए.

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PUCL का सर्वे:10 दिसंबर 2023 को PUCL ने ओपन कैंप में एक सर्वे किया था. उस समय वहां 423 कैदी थे, जिनमें 400 पुरुष और 23 महिला कैदी शामिल थे. उस समय खुली जेल के परिसर में कुल 633 लोग रह रहे थे. जिसमें कैदियों के परिवार के सदस्य भी शामिल थे. यह संख्या समय-समय पर बदलती रहती है. कभी-कभी पूरा परिवार आकर रहता है, तो कभी सिर्फ कुछ सदस्य ही आते हैं. कई बार कैदी अकेला जीवन जीते हैं. दिसंबर में कई अकेले पुरुष और महिलाएं वहां रह रहे थे. वर्तमान में 393 कैदी हैं. अनेक पैरोल पर भी हैं. परिवारों के साथ कुल लोगों की संख्या लगभग 900 है.

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कविता श्रीवास्तव ने कहा कि जिस भूमि पर खुली जेल पिछले छह दशकों से चल रही है. उसे इतनी आसानी से छीन लिया गया क्योंकि राजस्थान सरकार की शायद यह धारणा है कि कैदियों को इतनी बड़ी जगह की जरूरत नहीं है. वे छोटे स्थानों में रह सकते हैं और अमानवीय परिस्थितियों में जी सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें पता था कि कैदी राज्य के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, क्योंकि वे ओपन जेल में रहने और अपने परिवारों के साथ रहने की स्वतंत्रता खोना नहीं चाहेंगे.

उन्होंने कहा कि राज्य ने कैदियों की इस कमजोरी का फायदा उठाया. उन्होंने कहा कि 1963 से आवंटित खुली जेल की भूमि, जिसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा की गई है, उसपर इस तरह से कब्जा करना, भारत की सबसे बेहतरीन खुली जेल संस्था को समाप्त करने का प्रयास है. राजस्थान की 51 खुली जेलों में से यह सबसे बड़ा है. 51 खुली जेलों में कुल 1600 बंदियों की रहने की क्षमता है. जिसमें अभी भी 1339 बंदी ही रह रहे हैं.

न्याय के विचार पर हमला:दरअसल, खुली जेल पर हमला वास्तव में पुनर्स्थापनात्मक न्याय और सुधारात्मक स्थानों के विचार पर हमला है. इस विचार का उद्देश्य खुली जेल के कैदियों के लिए एक सामुदायिक स्थान प्रदान करना था न कि केवल कुछ आवासीय मकान, जो अब घटकर रह जाएंगे. यह बाहरी लोगों के लिए भी खुला था. पड़ोसी कॉलोनियों के बच्चे ओपन जेल की खुली जगह में फुटबॉल और अन्य खेल खेलने आते थे. जिससे कैदियों के बच्चे और कैदी स्वाभाविक रूप से बाहरी बच्चों के साथ घुलमिल जाते थे. इसके अलावा, राजस्थान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर बेंच के विभिन्न आदेशों की अवमानना भी की है.

Last Updated : Aug 31, 2024, 6:02 PM IST

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