लखनऊ: वर्ष 2017 से पहले तक प्रदेश की चिकित्सकीय सेवाओं की क्या स्थिति थी, यह किसी से छिपा नहीं है. चिकित्सक समय से आते नहीं थे. सरकारी अस्पतालों को मवेशियों का तबेला बना दिया गया था. डॉक्टरों के साथ स्वास्थ्यकर्मी भी नदारद रहते थे. आज हम दावे से कह सकते हैं, कि देश में नया मेडिकल हब बनकर उभरा है. आज देश के तमाम राज्यों के मरीज यूपी में अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं. पहले के मुकाबले आज यहां का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर काफी बदल चुका है. सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ी हैं. मरीजों को निशुल्क इलाज और दवाइयां समय पर मिल रही हैं. उत्तर प्रदेश पूरे देश में आयुष्मान कार्ड बनाने में पहले नंबर पर है. सरकारी और सरकार द्वारा चिन्हित प्राइवेट अस्पतालों में कार्ड के माध्यम से मरीजों को पांच लाख रुपये का निशुल्क उपचार मिल रहा है. इससे मरीजों को काफी मदद मिल रही है. यह बातें सोमवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहीं.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, कि गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को सरकारी अस्पतालों में तुरंत इलाज मिल रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार जिला और अन्य डॉक्टरों के माध्यम से उच्च कोटि की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रही है. प्रदेश में चार हजार से अधिक एंबुलेंस संचालित हैं. इन एंबुलेंस के माध्यम से हम मरीजों को अस्पताल और अस्पताल से उनके निवास तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बताया, कि जिला मुख्यालयों पर डायलसिस और सीटी स्कैन की सुविधा शुरू हो गई है. इससे पूर्व जिला स्तर पर डायलसिस की सुविधा मरीजों को नहीं मिलती थी. यह सुविधा सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित थी.
आज हम 74 जनपदों में डायलसिस की सुविधा दे रहे हैं. वहीं, 71 जनपदों में हम सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं, जो पहले नहीं थी. पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ी संख्या में टीबी मरीजों को चिन्हित किया है. उन्हें गोद लिया है और उनका उपचार कराया जा रहा है. टीबी मरीजों की संख्या में तेजी से कमी आई है. टीबी मुक्त भारत की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कि जिला अस्पतालों में क्रिटिकल केयर यूनिट की स्थापना की जा रही है. प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री रोगी सहायता निधि के माध्यम से पहली बार बड़ी संख्या में मरीजों को लाभ पहुंचा है. यह पहली बार है, जब हम स्पेशलिस्ट श्रेणी के चिकित्सकों को पांच लाख रुपये महीने तक वेतन दे रहे हैं.
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अस्पतालों में उपलब्ध है टीबी की दवा:डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, कि सभी अस्पतालों में टीबी की दवा उपलब्ध है. यह दवा उत्तर प्रदेश में निर्मित नहीं होती है. हम बाहर से मंगाते हैं. स्वयं इसकी आमद की मॉनेटरिंग करते हैं. हम प्रदेश में गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं. विपक्ष का काम तो सिर्फ शोर मचाना है. उन्होंने बताया कि विभिन्न माध्यमों के जरिए हम डॉक्टरों को भर्ती कर रहे हैं.
भ्रष्टाचार कर भागा सपा समर्थित ठेकेदार:डिप्टी सीएम ने कहा, कि जौनपुर का मेडिकल कॉलेज सपा शासनकाल में बनना शुरू हुआ था. उस समय एक ठेकेदार को काम देने के लिए सत्ताधारी नेताओं ने संबंधित कंपनी पर दबाव बनाया. वो ठेकेदार भ्रष्टाचार करके भाग गया. उसके खिलाफ जांच चल रही है. उन्होंने कहा, कि समाजवादी पार्टी भ्रष्टाचार की जननी है. हम प्रदेश में उच्च कोटि की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं. आमजन को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है. भ्रष्टाचार करने वाले बचेंगे नहीं. जेल की सलाखों के पीछे जाएंगे.
65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्ति:डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया, कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए ही पहली बार हमने सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष से बढ़ा कर 65 वर्ष की है. वन डिस्ट्रिक्ट-वन मेडिकल कॉलेज की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
जिला अस्पतालों में पहले की तरह मिलता रहेगा निशुल्क इलाज:डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. जिन जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में परिवर्तित किया गया है, वहां भी मरीजों को पूर्व की भांति निःशुल्क इलाज मिल रहा है और मिलता रहेगा. अगर अस्पतालों में कहीं कुछ गलत हो रहा है तो आप शिकायत करिए, हम निश्चित तौर पर कार्रवाई करेंगे.
डॉक्टरों की हुईं नियुक्तियां:डिप्टी सीएम ने कहा, कि जियो मैपिंग के माध्यम से प्रदेश के शत-प्रतिशत चिकित्सा इकाइयों की मैपिंग पूर्ण हो चुकी है. एनएचएम के अंतर्गत 1907 चिकित्सकों को संविदा एवं 1917 चिकित्सकों की नियुक्ति वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से की गई है. दिमागी बुखार पर अभूतपूर्ण नियंत्रण पाया गया है. प्रदेश में क्षय रोगियों को आधुनिक उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रयोगशालाओं का नेटवर्क अपग्रेड किया गया है. आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अब तक 5.11 करोड़ लाभार्थियों के कार्ड बनाए जा चुके हैं. 22 जुलाई 2024 तक 44.51 लाख लोगों को उपचार मिला है. जिन पर 6877 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं. प्रदेश में ई-संजीवनी कन्सल्टेशन परियोजना की शुरुआत हुई है. मुख्यमंत्री आरोग्य मेलों से मरीजों को सीधा लाभ मिल रहा है. सभी जिला अस्पतालों एवं 16 महत्वपूर्ण चिन्हित क्षेत्रों को सीसीटीवी के माध्यम से लिंक कर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय में इंटीग्रेटिड कमांड सेंटर की स्थापना की गई है.
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में मिल रहा इलाज:डिप्टी सीएम ने बताया, कि आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में आमजन को निशुल्क इलाज मिल रहा है. यूपी में 22,455 क्रियाशील केंद्र हैं, जहां मरीजों का इलाज किया जाता है. 5 हजार की आबादी पर स्थापित इन केंद्रों पर 58 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. साथ ही, मरीजों की 13 तरह की जांच की जाती हैं. सीएचओ के अतिरिक्त महिलाओं की जांच के लिए एएनएम तैनात हैं.
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