चंडीगढ़: हरियाणा में कुल 9500 डिपो धारक हैं, जिनके माध्यम से गरीबी रेखा के अंतर्गत आने वाले लोगों समेत अन्य स्तर के लोगों को राशन वितरित किया जाता है. इनमें करीब 1250 ऐसे डिपो संचालक हैं, जिनके लाइसेंस प्रदेश सरकार द्वारा रिन्यूअल नहीं किए जाने का संकट बना हुआ है. ये मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन अब इस मामले में किसी भी समय फैसला आने की उम्मीद है.
हाईकोर्ट से पहले स्टे, अब पक्ष में फैसले का इंतजार: हरियाणा सरकार ने उन डिपो संचालकों के लाइसेंस रिन्यूअल पर पाबंदी लगाई थी, जिन डिपो संचालकों को 60 साल का समय पूरा हो चुका है. दरअसल प्रदेश में डिपो संचालकों की संख्या 1250 है. प्रदेश सरकार द्वारा लाइसेंस रिन्यूअल नहीं किए जाने पर डिपो संचालकों द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस पर हाईकोर्ट से उन्हें 31 मार्च 2024 तक स्टे मिला था.
डीएफएससी ने लगाई पाबंदी: हरियाणा सरकार के संबंधित विभाग ने मामले में एडवोकेट जनरल से कानूनी राय ली. साथ ही डीएफएससी द्वारा डिपो संचालकों को राशन सप्लाई पर पाबंदी लगाई गई थी. लेकिन, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश जारी कर 31 मार्च 2024 की स्टे को आगे बढ़ाया गया था.
एनएफएस एक्ट लागू कर बदलाव का फैसला: हरियाणा सरकार ने नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत पीडीएस कंट्रोल ऑर्डर-2009 के अंतर्गत यह फैसला लिया था कि जिन डिपो संचालकों को 60 साल पूरे हो चुके हैं, उनका लाइसेंस रिन्यू नहीं किया जाएगा. हरियाणा में ऐसे कुल 1250 डिपो संचालक हैं, जिनके डिपो संचालन को 60 साल का समय पूरा हो चुका है.