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अच्छे स्वास्थ्य के साथ अच्छी कमाई का जरिया बना योग, कॉरपोरेट नौकरी छोड़ कई बने योगा ट्रेनर - Career in Yoga - CAREER IN YOGA

भारत सरकार ने जब से 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित करवाया है, तब से सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में योग को लेकर नौकरियां निकल रही हैं. कई हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं. इससे योग शिक्षकों और ट्रेनर्स की डिमांड भी बढ़ी है.

CAREER IN YOGA
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 6, 2024, 6:32 AM IST

करियर के तौर पर भी उभरा योग.

जयपुर. योग न सिर्फ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुधार का जरिया है, बल्कि आज करियर के तौर पर भी उभर कर आया है. आधुनिक दौर में योग में करियर के लिए कई विकल्प खुले हुए हैं. किसी भी मान्यता प्राप्त योग पीठ संस्थान, कॉलेज और यूनिवर्सिटी से योग विज्ञान, योग शिक्षा, प्राकृतिक चिकित्सा, योग थेरेपी, योग संगीत जैसे विषयों में बीएससी, बीएड और बीए कर या फिर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स कर 20 हजार से 5 लाख के मासिक पैकेज कमाया जा सकता है. यही वजह है कि आज इंजीनियरिंग और कॉरपोरेट सेक्टर के युवा भी योग में करियर बना रहे हैं.

भारत सरकार ने जब से 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित करवाया है, तब से सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में योग को लेकर नौकरियां निकल रही हैं. कई हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं. इससे योग शिक्षकों और ट्रेनर्स की डिमांड भी बढ़ी है. जयपुर में योगा पीठ संस्थान के संस्थापक योगाचार्य ढाकाराम ने बताया कि ये एक मात्र ऐसा सेक्टर है, जहां शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक रूप से ग्रोथ कर सकते हैं. आज योग के जरिए लोगों को अच्छा स्वास्थ्य दिया जा रहा है और यदि उस अच्छे स्वास्थ्य के बदले में सेवा शुल्क लिया जाता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. खास बात यह है कि इसमें बहुत सारे ऑप्शन हैं. भारत ही नहीं भारत से बाहर जाकर विदेशों में भी योग का प्रचार-प्रसार करते हुए आजीविका चला सकते हैं.

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कईइंस्टिट्यूट करवाते हैं योगा के कोर्स : ढाकाराम ने बताया कि वैसे तो देश में बहुत सारे योग के इंस्टिट्यूट हैं और अलग-अलग तरह से योग की शिक्षाएं होती हैं. विभिन्न योग पीठों में 250 घंटे से लेकर 1800 घंटे तक के कोर्स चलते हैं. इसी तरह लेवल 1, लेवल 2 और लेवल 3 अलग-अलग ग्रेड के भी कोर्स चलते हैं. जिस तरह बीए, एमए, पीएचडी के कोर्स होते हैं. उसी तरह योग में भी ये सभी कोर्स होते हैं, जिसकी वजह से रोजगार के बहुत सारे मार्ग खुल गए हैं. कुछ योग संस्थाओं की ओर से योग का कोर्स करने वाले छात्रों को रोजगार की गारंटी भी दी जाती है और बहुत अच्छे पैकेज भी मिलते हैं. आज जिम विथ योगा, एरोबिक्स विथ योगा, डांस विथ योगा यहां तक की चित्रकला के साथ भी योग का कॉम्बिनेशन मिल जाएगा.

20 हजार से लेकर 5 लाख तक का पैकेज : ढाकाराम ने स्पष्ट किया कि योगा पीठ संस्थान आयुष मंत्रालय से एफिलिएटेड है. यहां से 250 घंटे का कोर्स करने के बाद आयुष के वेलनेस सेंटर्स में अपनी सेवाएं दे सकते हैं. फ्री लांसर के तौर पर काम कर सकते हैं. इसके लिए बाकायदा योग पोर्टेबल इंस्ट्रक्टर का सर्टिफिकेट भी मिलता है. स्कूल-कॉलेज, जिम, फिटनेस सेंटर और हेल्थ क्लब में योग सिखा सकते हैं और खुद का भी सेंटर खोल कर सकते हैं. योग में करियर सेट करने के बाद किसी भी योग गुरु को 1 महीने में 20 हजार से लेकर 5 लाख तक के पैकेज सेवा शुल्क के रूप में मिल रहे हैं.

ढाकाराम ने बताया कि केंद्रीय विद्यालयों में भी योग की शुरुआत की जा रही है. राजस्थान में सरकारी स्कूलों में योग को कंपलसरी करने की प्लानिंग की जा रही है. कई निजी स्कूलों में भी योग की 1 घंटे की क्लासेस नियमित चल रही हैं. इससे स्पष्ट है कि न सिर्फ प्राइवेट सेक्टर, बल्कि गवर्नमेंट सेक्टर में भी योगा इंस्ट्रक्टर और टीचर्स की सर्विसेज मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे भी कई उदाहरण हैं, जिसमें युवाओं ने इंजीनियरिंग और कॉरपोरेट लाइन को छोड़ते हुए योग को अपनाया और उसमें अपना करियर बनाया है.

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कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ बने योगा टीचर : इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रहे वैभव ने बताया कि वो इंजीनियरिंग कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर थे. स्ट्रगल के उस दौर में सेहत काफी प्रभावित हो रही थी. स्ट्रेस लेवल हाई हो गया था. इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए 2018 में योग से जुड़े. इसके बाद आज अर्निंग तीन गुना बढ़ गई है, जबकि कॉरपोरेट सेक्टर में काम कर अब योग करियर को चुनने वाले विशाल ने बताया कि पहले जॉब में मानसिक तनाव फेस करना पड़ता था. इसी तनाव को दूर करने के लिए योग से जुड़े और इसे संयोग ही कहेंगे कि आध्यात्मिक और शारीरिक उन्नति तो मिली ही, साथ ही उन्होंने इसे ही अपने करियर के रूप में चुन लिया.

वहीं, गृहणी से योगा टीचर बनी नीलू पारीक ने बताया कि वो घर परिवार को संभालने में इतनी व्यस्त रहती थी कि खुद को समय ही नहीं दे पाती थी. इसकी वजह से उन्हें काफी हेल्थ इश्यू हो गए थे और वजन भी बढ़ गया था, लेकिन योग करने से उनका वेट भी कम हुआ और हेल्थ इश्यू भी कम हुए. वो पूरी तरह फिट होने के बाद समाज को योग की निशुल्क सेवाएं देना चाहती हैं. युवा छात्र दिव्यांश ने बताया कि वो जम्मू से यहां अपनी माता के ट्रीटमेंट के लिए आए थे. उनकी माता एलोपैथी, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक सभी ट्रीटमेंट लेने के बाद भी ठीक नहीं हुई, लेकिन योग से उन्हें काफी फायदा मिला है. यही वजह है कि होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद वो शेफ तो बने, लेकिन जब माता के इलाज के लिए जयपुर पहुंचे, तो अब पूरी तरह योग के रंग में रंगते हुए योगा इंस्ट्रक्टर बन गए हैं.

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