नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में एक खुले नाले में गिरकर मां और बच्चे की मौत के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली विकास प्राधिकार (डीडीए) को निर्देश दिया कि वो पीड़िता के परिजनों को मुआवजा देने पर विचार कर अगली तिथि को सूचित करें. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को करने का आदेश दिया.
गुरुवार को हाईकोर्ट ने डीडीए को फटकार लगाते हुए कहा कि आपके अधिकारी ठेकेदारों के कामों का निरीक्षण नहीं करते हैं. निर्माण स्थल पर गए बिना ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करते हैं. ठेकेदार ने नाला खुला ही छोड़ दिया. आपके स्टाफ उसकी मानिटरिंग तक नहीं करते हैं. कोई भी इसमें गिर सकता है. इससे पहले दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा था कि ऐसा लगता है आपके अधिकारी काम करने को गुनाह मानते हैं.
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि खुले नाले के आसपास तुरन्त बैरिकेडिंग की जाए और वहां पर पड़े मलबे को हटाया जाएं. हाईकोर्ट ने नाले की तस्वीर देखने के बाद कहा था कि यह बहुत परेशान करने वाली तस्वीरें है. चिकनगुनिया, डेंगू जैसे बीमारियां भी शहर में हैं और नालों का यह हाल है? क्या नगर निगम काम कर रहा है? ऐसा लगता है वह काम नहीं करता है. वहां पर साल भर से मलबा पड़ा हुआ है.