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अनियमित जमा योजना के मामलों को निपटाने के लिए हर जिले में खुलेंगे दो कोर्ट, दिल्ली सरकार ने दी मंजूरी - अनियमित जमा योजना

सीएम अरविंद केजरीवाल ने अनियमित जमा योजनाओं के मामलों से निपटने के लिए दिल्ली के प्रत्येक जिले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की दो विशिष्ट अदालतें स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. ताकि अनियमित जमा योजना के मामलों का निपटान जल्द से जल्द किया जा सके.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 31, 2024, 7:51 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने हर जिले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की दो नामित कोर्ट के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. ताकि अनियमित जमा योजना के मामलों का निपटान जल्द से जल्द किया जा सके. प्रस्ताव को मंजूरी संसद द्वारा पारित अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम (अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम), 2019 की धारा 8 के तहत दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति पर दी गई है. अब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव की अधिसूचना जारी करने के लिए उपराज्यपाल को फाइल भेज दी है.

अनियमित जमा योजना निषेध अधिनियम, 2019 अनियमित जमा योजनाओं (व्यवसाय के सामान्य पाठ्यक्रम में लिए गए जमाओं के अलावा) पर प्रतिबंध लगाने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए एक व्यापक तंत्र प्रदान करने के लिए यह अधिनियम है. अधिनियम के अनुसार 'जमा' का मतलब किसी जमाकर्ता द्वारा एडवांस, लोन या किसी अन्य रूप में प्राप्त धनराशि से है. चाहे उसका प्रतिफल लौटाने का वादा किसी निश्चित अवधि के बाद या नकद या वस्तु के रूप में या निर्दिष्ट सेवा के रूप में ब्याज, बोनस, लाभ या किसी अन्य रूप में किसी लाभ के साथ या उसके बिना हो. अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से कोई भी जमाकर्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी अनियमित जमा योजना के परिप्रेक्ष्य में भागीदारी या नामांकन के लिए विज्ञापन जारी करना, संचालन करना, प्रचार करना या जमा स्वीकार नहीं करेगा.

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अनियमित जमा योजनाएं प्रतिबंध अधिनियम फरवरी, 2019 में लागू हुआ था. इसमें अनियमित जमा योजनाओं को प्रतिबंधित करने और जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण का प्रावधान है. अधिनियम के अनुसार, निर्दिष्ट न्यायालय के अलावा किसी अन्य न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं होगा, जिस मामले में इस अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं. इसके साथ ही इस अधिनियम के तहत किसी अपराध पर विचार करते समय या निर्दिष्ट न्यायालय इस अधिनियम के अलावा किसी अन्य अपराध पर भी विचार कर सकता है, जिसके साथ आरोपी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत उसी ट्रायल में आरोपित किया जा सकता है.

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