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पीपीएसी के विरोध में कल सभी 14 जिलों में दिल्ली भाजपा करेगी प्रदर्शन - वीरेंद्र सचदेवा - Protest against PPAC Delhi Bjp - PROTEST AGAINST PPAC DELHI BJP

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के लोग कहा कि पीपीएसी, पेंशन अधिभार, मीटर शुल्क, लोड अधिभार से परेशान हैं. जिसके विरोध में दिल्ली भाजपा कल सभी 14 जिलों में प्रदर्शन करेगी.

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 14, 2024, 7:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि पीपीएसी, पेंशन अधिभार, मीटर शुल्क, लोड अधिभार के विरोध में सोमवार, 15 जुलाई को दिल्ली के सभी 14 जिलों में बिजली दफ्तरों पर हम प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जयंत नाथ को लिखे पत्र की प्रति जारी की.

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के लोग आज दोहरी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. एक तरफ लंबी गर्मी के बाद उन्हें उमस भरे मानसून का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें भारी भरकम बिजली बिलों का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. दिल्लीवासियों के बिजली के भारी भरकम बिल सिर्फ गर्मियों में खपत के कारण नहीं बल्कि अत्यधिक पी.पी.ए.सी. और अन्य शुल्कों के कारण भी हैं. कहा कि अप्रैल-मई से ही बिल की राशि को लेकर लोगों में आक्रोश है. भाजपा की एक टीम ने कुछ बिजली शुल्क विशेषज्ञों और आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर इसका अध्ययन किया है. संयुक्त अध्ययन से पता चला है कि आज दिल्लीवासियों के बिजली बिलों में शामिल पी.पी.ए.सी. उपभोक्ताओं, खासकर निम्न और उच्च मध्यम वर्ग के लिए बड़ी समस्या बन गया है.

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डी.ई.आर.सी. चेयरमैन को लिखे पत्र में कहा गया है कि मौजूदा बिजली दरें बिजली वितरण कंपनियों को लाभ में रखने के लिए पर्याप्त हैं, बशर्ते वे अपनी कारोबारी योजना ठीक से बनाएं. दुर्भाग्य से बिजली वितरण कंपनियां अत्यधिक गर्मी या उमस भरे मौसम या भीषण सर्दी की मांग को पूरा करने के लिए कोई योजना नहीं बनाती हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि अप्रैल के मध्य में अचानक दिल्ली में बिजली आपूर्ति का संकट पैदा हो गया. और दिल्ली सरकार और बिजली वितरण कम्पनियां बिजली ग्रिड या अधिशेष वाले राज्यों से अतिरिक्त बिजली खरीदने के लिए जाग उठीं, जो बिजली जाहिर तौर पर ऐन समय पर प्रीमियम पर मिलती है.

सचदेवा ने कहा कि 1.5% बिजली खरीद समझौता शुल्क (पी.पी.ए.सी.) पहली बार दिल्ली में 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अवैध रूप से लगाया गया था. 2014 में राष्ट्रपति शासन के दौरान भाजपा नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल की तत्कालीन केन्द्रीय बिजली मंत्री श्री पीयूष गोयल से मुलाकात के बाद इसे वापस ले लिया गया. लगभग अगस्त 2014 से सितंबर 2015 के बीच शुल्क वापस नहीं लगा. 2015 में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार सत्ता में आई और उसने बिजली वितरण कंपनियों की पी.पी.ए.सी. और पेंशन अधिभार को फिर से लागू करने की मांग का समर्थन किया.

जल्द ही PPAC वैध हो गया, क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नहीं किए जाने के कारण डी.ई.आर.सी. ने PPAC को वितरण कम्पनियों के लिए स्वीकृत व्यवसाय विनियामक योजना का एक घटक बना दिया. 2015 से हर सर्दी और गर्मी में वर्ष की संबंधित तिमाही के लिए PPAC बढ़ाया जाता है, लेकिन तिमाही के अंत के बाद इसे कभी वापस नहीं लिया जाता है.

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