नई दिल्ली:दिल्ली में हवा से लेकर पानी तक हर तरफ प्रदूषण नया रिकॉर्ड बना रहा है. हवा में सांस लेना मुश्किल है तो यमुना का पानी भी जहरीला हो गया है. इस सबके बीच AAP और बीजेपी के बीच पॉल्यूशन पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. बीजेपी के नेता दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से यमुना के पानी में डुबकी लगाने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी लीडर्स का कहना है कि केजरीवाल ने कहा था इसलिए 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले वो यमुना में डुबकी लगाकर दिखाएं.
केजरीवाल और आतिशी यमुना में डुबकी लगाएं:गुरुवार सुबह प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने यमुना में डुबकी लगाई और दिल्ली के आईटीओ स्थित यमुना घाट पर एक मंच लगा दिया. इस मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी के लिए कुर्सियां रखवाई गई है. प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने ऐसा कर उन्हें आमंत्रित किया है कि वह अपने वादे के अनुसार यहां आए और यमुना का हाल दिल्ली की जनता को बताएं. अगर वह इन मुद्दों का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ रहे हैं तो यहां बने मंच से ही यह बात कहने का साहस दिखाएं.
वीरेंद्र सचदेवा ने ITO छठ घाट पर लगाई डुबकी (SOURCE: ETV BHARAT) दिल्ली में आपूर्ति की जाने वाली पानी में अमोनिया की मात्रा अधिक होने से एक अलग मुद्दा छिड़ गया है. सर्दी की शुरुआत में भी पानी का संकट शुरू हो गया है. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा तो कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा को जमकर फटकार लगाई.
चुनावी मोड में आम आदमी पार्टी: दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार भी चुनावी मोड में है. पार्टी के तमाम बड़े नेता इन दिनों अलग-अलग इलाकों में पदयात्रा कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह समेत मुख्यमंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज व अन्य भी पदयात्रा में शरीक हो रहे हैं. जिन मुद्दों को लेकर दिल्ली वाले परेशान हैं, उसके लिए यह सभी केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ रहे हैं. वहीं, विधानसभा में विपक्ष में बैठी बीजेपी ने आम आदमी पार्टी सरकार को प्रदूषण से निजात दिलाने और यमुना को स्वच्छ बनाने के पुराने वादों की याद दिलाते हुए उनसे अपील कर रहे हैं कि वह अपने वादों के अनुरूप यमुना में आए और डुबकी लगाकर जनता को बताएं कि पानी कैसा है?
एलजी और आप सरकार में तकरार:प्रदूषण को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी में तकरार की स्थिति बन गई है. दिल्ली के उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री आतिशी के नाम पत्र लिखकर उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास दिलाया और कहा कि प्रदूषण के लिए दूसरों को दोष देने से पहले अपने घर को ठीक करना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव भी दिए जिससे हालात सुधर सकते हैं. हालांकि उपराज्यपाल के पत्र पर आम आदमी पार्टी ने भी पलटवार किया है. पार्टी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली एकमात्र ऐसा राज्य है जहां समर एक्शन प्लान, विंटर एक्शन प्लान, और प्रदूषण के खिलाफ लक्षित प्रयास किए जाते हैं. इसका परिणाम यह हुआ है कि दिल्ली में प्रदूषण 31 परसेंट से अधिक घटा है और इस साल दिल्ली पिछले दशक की तुलना में अपनी सबसे अच्छी हवा में सांस ले रही है. हालांकि आम आदमी पार्टी के तर्क को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज करते हुए समाधान के उपाय बताने को कहा है.
अभी सुधार होने की संभावना नहीं:दिल्ली में बीते करीब एक महीने से प्रदूषण से बुरा हाल है. प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी को देख रोकथाम के लिए ग्रैप 2 लगा दिया गया है. मगर हालात सुधर नहीं रहे हैं. अभी दिवाली में एक सप्ताह से अधिक का समय है और मौसम विभाग के अनुसार जो स्थिति है अभी उसमें अधिक सुधार की गुंजाइश नहीं है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा लागू विंटर एक्शन प्लान के उपाय के तहत वह दिल्ली की जनता से अपील कर उसका पालन करने को कह रहे हैं. जिसमें रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ, सार्वजनिक वाहनों का अधिक से अधिक इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए पार्किंग शुल्क तक में बढ़ोतरी कर दी गई है.
कांग्रेस ने मांगा मुख्यमंत्री का इस्तीफा :प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है. उनका कहना है कि दिल्ली सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है, जानलेवा प्रदूषण की जिम्मेदारी लेते हुए आतिशी तुरंत प्रभाव से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें. उन्होंने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी राजधानी में दमघोटू प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की बजाय वायु प्रदूषण के लिए सरकारी तंत्र को पूरी तरह असहाय बता रही हैं और प्रदूषित जल के लिए मुख्यमंत्री कह रही हैं कि वजीराबाद बैराज में आने वाले पानी में अमोनिया का स्तर अधिक है कि उसे ट्रीट नही किया जा सकता. यह चिंताजनक है. आतिशी का दिल्ली की मुख्यमंत्री होने के बावजूद वायु और जल प्रदूषण को नियंत्रित करने में असमर्थता दिखाना उनकी नाकामी को दर्शाता है, उन्हें तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.
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