नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस ने भी कमर कस ली है. न्याय यात्रा संपन्न होने के बाद अब चुनाव की आगे की रणनीति और प्रत्याशियों के नाम तय करने को लेकर पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की आज बैठक होने वाली है. इस बैठक में पार्टी के शीर्ष नेता स्थानीय नेताओं के साथ चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे. आम आदमी पार्टी ने जिस तरह प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है, इसकी संभावना है कि कांग्रेस भी इस कमेटी में प्रत्याशियों की पहली सूची पर विचार करें.
2013 में कांग्रेस को मिले थे सिर्फ 8 सीट:दिल्ली में लगातार 15 सालों (1998-2013) तक कांग्रेस की सरकार रही थी. आम आदमी पार्टी के गठन के बाद दिल्ली की सत्ता कांग्रेस की हाथ से चली गई. साल 2013 में जब पहली बार आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में उतरी थी तो सत्ता में काबिज रही कांग्रेस को सिर्फ 8 सीटें ही मिली थी. दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया. मगर वह सरकार अधिक दिन तक नहीं चल पाई. 49 दिनों में ही वह सरकार गिर गई थीं.
अस्तित्व बचाने के लिए झोंकी ताकत:उसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था. उसके बाद हुए दो विधानसभा चुनाव वर्ष 2015 और 2020 में दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. जिसके चलते कांग्रेस बैक फुट पर चली गई. इस बार कांग्रेस अस्तित्व बचाने के लिए पूरी कोशिश में जुटी है. इसी के तहत बीते 30 दिनों तक दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव के नेतृत्व में न्याय यात्रा निकाली गई. अब जब दूसरी पार्टियां घोषणा पत्र बनाने, प्रत्याशियों का नाम तय करने जा रही है, कांग्रेस भी स्क्रीनिंग कमेटी में इन सब मुद्दों पर चर्चा करने वाली है. चुनावी मुद्दों के साथ-साथ इसमें मजबूत सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम की चर्चा होने की संभावना है. स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव, जय भगवान अग्रवाल, सुभाष चोपड़ा, अजय माकन शिरकत करेंगे.