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दुर्लभ एफआरडीए बीमारी की दवा को भारत में सुलभ बनाने के लिए एम्स शुरू करेगा प्रयास, जानिए क्या है ये बीमारी - Medicine for FRDA disease - MEDICINE FOR FRDA DISEASE

एफआरडीए बीमारी से छुटकारा पाने के लिए दिल्ली एम्स ने प्रयास तेज कर दिए हैं. इस दुर्लभ और वंशानुगत बीमारी की दवा देश में उपलब्ध कराने के दिशा में बैठक हुई, जिसमें आगे की रणनीति बनी. जानिए, दुर्लभ एफआरडीए बीमारी के बारे में...

दिल्ली एम्स
दिल्ली एम्स (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 24, 2024, 10:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली एम्स में अब फ्रेड रिच एटैक्सिया (एफआरडीए) नामक एक दुर्लभ और वंशानुगत बीमारी की दवा को भारत में उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास शुरू किए जाएंगे. डॉक्टरों के अनुसार यह बीमारी मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों को प्रभावित करती है. इस बीमारी की दवा खोज ली गई है, लेकिन इसकी भारत में उपलब्धता नहीं है और खर्च भी अधिक है. दवा के उपयोग को बढ़ाने के लिए एम्स में अनुसंधानकर्ताओं के साथ सोमवार को बैठक हुई.

बताया जा रहा है कि यह दुर्बल करने वाली स्थिति कई प्रकार के न्यूरोलाजिकल और शारीरिक गतिविधि-संबंधित लक्षणों के माध्यम से प्रकट होती है, जो पीड़ितों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है. एफआरडीए आमतौर पर चलने में कठिनाई, समन्वय न कर पाना, मांसपेशियों में कमजोरी, बोलने में समस्या और हृदय रोग जैसे लक्षणों से सामने आती है. इससे गंभीर विकलांगता जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

कैसे होती है एफआरडीए की बीमारीः एम्स के डॉ. अचल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि एफआरडीए एफएक्सएन जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है, जिससे प्रोटीन फ्रैटेक्सिन का स्तर कम हो जाता है. इस प्रोटीन की कमी से तंत्रिका और मांसपेशियों की कोशिकाएं खराब हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रोगियों में बीमारी के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं.

एफआरडीए की प्रगति क्रमिक, लेकिन निरंतर है. लक्षण आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में शुरू होते हैं और समय के साथ बिगड़ते जाते हैं. अधिकांश व्यक्तियों को अंततः व्हीलचेयर के उपयोग की आवश्यकता होती है और उनमें कार्डियोमायोपैथी और मधुमेह जैसी जीवन-घातक जटिलताएं विकसित हो सकती हैं.

एफआरडीए के इलाज के लिए ओमावेलोक्सोलोन दवा को दी गई है मंजूरीः एफआरडीए के इलाज के लिए हाल में ओमावेलोक्सोलोन दवा को मंजूरी दी गई है. ओमावेलोक्सोलोन ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने का काम करता है, जिससे रोग के बढ़ने की गति धीमी हो जाती है. उन्होंने कहा कि ओमावेलोक्सोलोन भारत में उपलब्ध नहीं है, जो इस क्षेत्र के रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है. इसके अतिरिक्त दवा की उच्च लागत इसे कई लोगों के लिए दुर्लभ बना देती है, जिससे इस बीमारी से पीड़ित लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयां और बढ़ जाती हैं.

एफआरडीए के सभी रोगियों के लिए इस जीवन-परिवर्तनकारी उपचार को उपलब्ध और किफायती बनाने के प्रयास जारी हैं. डॉ. श्रीवास्तव के नेतृत्व में एम्स के न्यूरोलाजी विभाग की अनुसंधान टीम रोग की प्रगति को ढूंढ़ने के लिए वैश्विक प्राकृतिक इतिहास अध्ययन के लिए फ्रेडरिक के एटैक्सिया रिसर्च एलायंस (एफएआरए) यूएसए के साथ सहयोग कर रही है. सोमवार को अनुसंधान प्रयासों पर चर्चा करने के लिए एफएआरए की भारत यात्रा के अवसर पर टीम ने एम्स में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया.

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