देहरादून:उत्तराखंड का आइस स्केटिंग रिंकएक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है. पिछले 12 सालों से करोड़ो के बदहाल पड़े इस आइस स्केटिंग रिंक को चकाचक करने का खेल विभाग ने बीड़ा उठाया है. 12 साल की बदहाली के बाद अब आइस स्केटिंग रिंक की नई एक्सक्लूसिव तस्वीरें सामने आयी हैं.
उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलप्रस्तावित हैं. 38वें राष्ट्रीय खेलों को होस्ट करने के लिए उत्तराखंड खेल विभाग तैयारियों में जुटा हुआ है. जिसके कारण उत्तराखंड में वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. जिसके कारण देहरादून का आइस स्केटिंग रिंकएक बार फिर चर्चाओं में आ गया है. आइस स्केटिंग रिंक महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में है. ये आइस स्केटिंग रिंक कई सालों से बदहाल है. अब खेल विभाग ने इस आइस स्केटिंग रिंक के कायाकल्प की तैयारी शुरू कर दी है. पिछले 12 सालों से खंडहर आइस स्केटिंग रिंक को एक बार फिर से खोल दिया गया है. इन दिनों इसके रिनोवेशन का काम तेजी से किया जा रहा है. खेल विभाग के पास मौजूद पूरे साउथ एशिया में एकमात्र यह आइस स्केटिंग रिंक है.
2011 फर्स्ट साउथ एशियन विंटर गेम्स में हुआ उद्घाटन:साल 2010-11 में प्रदेश में मौजूद भाजपा सरकार में बतौर मुख्यमंत्री रहते रमेश पोखरिया निशंक ने देहरादून रायपुर स्पोर्ट्स कॉलेज में उस समय के पूरे साउथ एशिया में एकमात्र हाईटेक आइस स्केटिंग रिंक का उद्घाटन किया था. यहां पर फर्स्ट साउथ एशियन विंटर गेम्स होस्ट किए गए. उस समय उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार थी. मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस आइस स्केटिंग रिंक का लोकार्पण किया.
तब यह कार्यक्रम उस समय के तत्कालीन कृषि मंत्री और स्थानीय विधायक प्रवीण सिंह रावत की अध्यक्षता में हुआ. खेल मंत्री खजान दास थे. साथ ही पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी मदन कौशिक के पास थी. करोड़ों की लागत से बने इस आइस स्केटिंग रिंक में हुए फर्स्ट साउथ एशियन विंटर गेम्स के दौरान यहां पर भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव्स, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया. जिसका बजट 350 करोड़ रुपए था. इस प्रतियोगिता के बाद उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने यहां स्पीड स्केटिंग का संचालन शुरू किया था.