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राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का परिवाद दाखिल, हाथरस रेप केस से बरी युवक ने मांगे 50 लाख रुपये, जानिए क्यों? - HATHRAS RAPE CASE

हाथरस रेप केस से बरी युवक ने राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट में दाखिल किया परिवाद, कहा-दोषमुक्त होने पर भी दोषी बताकर किया अपमान

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी.
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2025, 7:39 PM IST

हाथरस:कांग्रेस सांसद एवं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अब हाथरस की एमपी एमएलए कोर्ट में मानहानि का परिवाद दाखिल हुआ है. हाथरस रेप कांड से बरी रामकुमार उर्फ रामू की ओर से दाखिल परिवाद पर जज दीपक नाथ सरस्वती ने बयान दर्ज कराने के लिए 10 फरवरी की तिथि नियत की है.

हाथरस रेप पीड़िता के परिवार को घर में बंद करके रखना और गैंग रेप के आरोपियों का खुलेआम घूमना बाबा साहेब के संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है.BJP सरकार ने पीड़ित परिवार को दूसरी जगह घर देकर शिफ्ट करने का वादा भी पूरा नहीं किया है. हम अंबेडकर जी के संविधान को मानने वाले कांग्रेस और INDIA गठबंधन के लोग मिलकर उस परिवार की मदद करेंगे - उनके घर का रिलोकेशन हम करेंगे'. इस पोस्ट को लेकर ही रेप केस से बरी रामकुमार ने राहुल गाधी के खिलाफ परिवाद दाखिल किया है.

अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर ने बताया कि थाना चंदपा क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी निवासी रामकुमार उर्फ रामू की ओर से परिवाद दाखिल किया है. परिवाद में कहा है कि न्यायालय के निर्णय के बावजूद भी वोट की राजनीति के लिए जातिगत विद्वेष के लिए 12 दिसंबर 2024 को राहुल गांधी ने कोर्ट द्वारा युवकों को दोष मुक्त करने के बाद उन्हें दोषी बताया था. इस मामले में तीन परिवर्तन है, अभी एक परिवार राम कुमार उर्फ की ओर से दाखिल हुआ है.

अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर ने बताया कि परिवादी की ओर से राहुल गांधी को विधिक नोटिस भी भेजा गया था और अपने शेष जीवन को सुगम बनाने को मुआवजे के रूप में 50 लख रुपए की मांग की थी. नोट तामील होने के बावजूद राहुल गांधी की ओर से तय अवधि में जवाब भी नहीं भेजा. इस मामले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को तलब कर विचारण के बाद दंडित किए जाने एवं 50 लाख रुपए प्रतिकर दिलाए जाने की मांग की है. दरअसल, जिले के एक गांव में 4 साल पहले 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ दरिंदगी हुई थी. 29 सितंबर 2020 को युवती ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया था. पुलिस ने घरवालों की सहमति के बिना युवती का रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया था. यह मामला देशभर में सुर्खियों में रहा था. यूपी पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हुए तो इसकी जांच CBI को सौंपी गई थी. मामला कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट ने आरोपी लवकुश, राम कुमार उर्फ रामू और रवि को बरी कर दिया था. इसे गैर इरादतन हत्या का मामला माना था. जबकि संदीप को दोषी ठहराया था, जो जेल में हैं.

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