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आनासागर से मेहमान परिंदों ने शुरू किया जाना, जानें इंसानों की क्या हैं गलतियां - ANASAGAR LAKE AJMER

अजमेर की आनासागर झील से कई विदेशी मेहमान पक्षियों ने मुंह मोड़ लिया है. यहां पर पक्षियों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है.

ANASAGAR LAKE AJMER
अजमेर की झील में प्रवासी पक्षी (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 24, 2025, 6:33 AM IST

प्रियांक शर्मा, अजमेर :आनासागर झील कभी देशी-विदेशी परिंदों के लिए स्वर्ग मानी जाती थी, लेकिन यहां अब विदेशी परिंदों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है. पहले जहां आनासागर झील परिंदों से गुलजार रहती थी, वहीं अब कुछ प्रजातियां नजर नहीं आतीं और कई की संख्या में कमी भी आई है.

आनासागर झील अजमेर शहर के बीचोंबीच स्थित एक खूबसूरत मानव निर्मित जलाशय है, जो वर्षों से पक्षियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है. खासकर सर्दियों और बारिश के मौसम में इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है. हर साल ठंड के मौसम में कई देशी-विदेशी पक्षी यहां आते हैं, 3-4 महीने तक रहते हैं और फिर वापस अपने वतन लौट जाते हैं. झील का शांत वातावरण और यहां उपलब्ध प्राकृतिक भोजन उन्हें बार-बार यहां आने के लिए आकर्षित करता है.

आनासागर में घटी प्रवासी पक्षियों की संख्या (ETV Bharat Ajmer)

बदले हालात, सिमटती झील : पक्षी विशेषज्ञ डॉ. आबिद अली खान बताते हैं कि पिछले ढाई दशकों में आनासागर के हालात काफी बदल गए हैं. अजमेर शहर की बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण झील का क्षेत्रफल कम हो गया है. झील के चारों ओर बसावट बढ़ने से पक्षियों के लिए जरूरी वेटलैंड क्षेत्र सिकुड़ गया है. इससे प्रवासी पक्षियों की संख्या काफी घट गई है और कई प्रजातियों ने तो आनासागर में बसेरा डालना ही छोड़ दिया है. साथ ही जल प्रदूषण और बढ़ती मानवीय गतिविधियां भी पक्षियों को यहां आने से रोक रही हैं.

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पेलिकन्स से बढ़ी रौनक :डॉ. आबिद अली खानने कहा कि इस समय आनासागर झील में कुछ ही प्रवासी पक्षी आए हैं, जिनमें डलमेशियान पेलिकन्स, ग्रेट व्हाइट पेलिकन्स, स्पून बिल, नॉर्दर्न शोवलर, वाइट हेडेड गल, कॉमन गल, ग्रेट कोरमोरेंट्स शामिल हैं. पेलिकन्स की उपस्थिति झील की सुंदरता को और निखार रही है. ये पक्षी झील में मछलियों का शिकार कर भोजन प्राप्त करते हैं और समूह में रहते हैं. आनासागर झील में वर्ष 2024 में 37 अलग-अलग नस्ल के देसी-विदेशी परिंदे आए थे. इनमें इनकी कुल संख्या 943 थी. पक्षी विशेषज्ञ बताते हैं कि वर्ष 2025 को लेकर गणना 28 जनवरी से शुरू होगी, जो 2 फरवरी तक चलेगी.

2024 के आंकड़े (ETV Bharat GFX)

नॉर्दर्न शॉवलर की संख्या में गिरावट :डॉ. आबिद के अनुसार इस बार पेलिकन्स की संख्या लगभग 270 के आसपास है, लेकिन नॉर्दर्न शॉवलर बतखों की संख्या घटी है. झील में मछली पालन और मोटरबोट का शोर इन शर्मीले पक्षियों को प्रभावित कर रहा है, जिसके चलते ये पक्षी अब यहां आने से कतरा रहे हैं. इसके अलावा कॉमन टील और गाडवेल जैसी अन्य बतखों की आमद में भी कमी आई है. पहले की तुलना में इनकी संख्या में गिरावट पक्षा प्रेमियों के लिए चिंता का विषय बन गई है.

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लंबे पैर वाले पक्षियों ने कहा अलविदा :झील के किनारे पाए जाने वाले लंबे पैरों वाले पक्षी जैसे पाइड अवोसेट, स्पूनबिल, कॉमन स्नाइप, गॉडविट अब झील में नजर नहीं आ रहे हैं. हालांकि, जिले के अन्य जलाशयों में इन्हें देखा जा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार ठंड के देर से आगमन और जलाशयों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता के कारण प्रवासी पक्षी देरी से पहुंचे हैं. इसके अलावा, जल स्तर में असंतुलन और प्रदूषण भी इन पक्षियों के प्रवास को प्रभावित कर रहा है.

झील में पहुंचे कुछ विदेशी मेहमान (ETV Bharat Ajmer)

पक्षियों को न दें अनाज :डॉ. आबिद अली खानने कहा कि झील पर पक्षियों को देखकर कई लोग उन्हें दाना डालते हैं, लेकिन ऐसा करना झील के पानी को प्रदूषित कर सकता है. ये प्रवासी पक्षियों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है. पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि पक्षी अपनी प्राकृतिक पारिस्थितिकी से भोजन प्राप्त करने में सक्षम हैं, इसलिए उन्हें तला-भुना या पका हुआ भोजन न दें. उन्होंने कहा कि लोगों को इस बात की समझ होनी चाहिए कि अनजाने में वे पक्षियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

झील से लंबे पैर वाले पक्षियों ने कहा अलविदा (ETV Bharat Ajmer)

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पक्षी विशेषज्ञों का कहना है समाज को जागरूक करने और झील को संरक्षित करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाले वर्षों में भी आनासागर झील पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय बनी रहे. सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, जैसे कि झील का संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण अनुकूल नीतियां लागू करना. साथ ही, झील के आसपास कचरा प्रबंधन और स्वच्छता अभियानों को प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए. यदि सही कदम उठाए जाएं और पर्यावरण को बचाने की दिशा में समर्पित प्रयास किए जाएं, तो आनासागर झील एक बार फिर प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग साबित हो सकती है.

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