देहरादून:उत्तराखंड सरकार ने 27 फरवरी को विधानसभा सत्र के दौरान अपना बजट पेश किया. जिसमें 89,230 करोड़ रुपए के बजट में तमाम विभागों के लिए अलग-अलग धनराशि जारी की गई है. साल 2024-25 के इस बजट को राज्य सरकार ऐतिहासिक और जनता का बजट बता रही है. लेकिन इस बजट के साथ ही यह भी साफ हो गया कि साल दर साल उत्तराखंड कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है. आलम यह है कि कर्ज को चुकाने के लिए सरकार नया कर्ज ले रही है.
बढ़ता जा रहा राज्य का कर्ज:राज्य गठन के बाद से ही हर सरकार ने विभागों में कर्मियों की तनख्वाह से लेकर विकास कार्यों तक के लिए अलग-अलग माध्यम से कर्ज लिया है. मौजूदा समय में यह कर्ज 78 हजार 450 करोड़ रुपए का हो गया है. अभी साल की शुरुआत हुई है, ऐसे में सरकार को इन 10 महीना में लगभग 3000 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाने के लिए हर साल लिए गए कर्ज की कुछ राशि देनी पड़ती है.
बीते सालों की तुलना में इस बार कम लिया कर्ज:हैरानी की बात यह है कि कर्ज को चुकाने के लिए हर सरकार और कर्ज ले रही है. एक अनुमान के मुताबिक अगले वित्त वर्ष तक उत्तराखंड पर 81000 करोड़ रुपए से भी अधिक का कर्जा हो सकता है. हालांकि सरकार यह दावा कर रही है कि बीते सालों के तुलना में इस बार हमने काफी कम कर्ज लिया है.
कर्ज कम करने का किया दावा:वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की मानें तो राज्य गठन के बाद से ही इधर-उधर से पैसे ले देकर ही काम किया जा रहा है. लेकिन अच्छी बात यह है कि हम इस साल बेहतर काम कर पाए हैं. साल 2022 और 23 में सरकार अनुमान लगा रही थी कि यह कर्ज बढ़कर 80000 करोड़ रुपए से भी ऊपर का हो जाएगा, लेकिन इस कर्ज को हमने कम किया है और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा.