देहरादून: उत्तराखंड एक वन बाहुल्य राज्य है. जहां का करीब 71 फीसदी हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है, लेकिन प्रदेश के जंगलों में हर साल हो रही वनाग्नि की घटनाएं एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. क्योंकि, वनाग्नि की वजह से हर साल वन संपत्ति और जानमाल को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में वन विभाग वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए जन सहभागिता पर जोर दे रही है.
इसी कड़ी में ग्राम पंचायत कलस्टर स्तर पर वनाग्नि ग्राम पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन किया जाएगा. जिसमें ग्राम प्रधान, वन पंचायत सरपंच, महिला व युवक मंगल दलों के प्रतिनिधि और वन विभाग, राजस्व विभाग के कार्मिकों को शामिल होंगे. इसके तहत समितियों को इंसेंटिव भी दी जाएगी.
![Uttarakhand Forest Building](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-02-2025/23531040_forest.jpg)
दरअसल, 12 फरवरी को सीएम पुष्कर धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ग्राम पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन संबंधित प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, वनाग्नि सुरक्षा प्रबंधन समितियों के चयन का निर्धारण फॉरेस्ट फायर रिस्क जोनेशन मैपिंग के आधार पर किया जाएगा.
वनानिग्न के अति संवेदनशील/चीड़ बाहुल्य वन प्रभागों की श्रेणी तय करते हुए किया गया है. इसके तहत 22 वन प्रभागों को चिन्हित कर समितियों के गठन की कार्रवाई शुरू की गई है. प्रभागों के गठित वनाग्नि सुरक्षा प्रबंधन समितियों को वनाग्नि सत्र के दौरान अस्थायी रूप से क्षेत्र आवंटित कर वनाग्नि नियंत्रण की जिम्मेदारी दी जाएगी.
हर समिति को सालाना दिया जाएगा 30 हजार रुपए का इंसेंटिव: वनाग्नि ग्राम पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन और वनाग्नि के प्रभाव को कम करने के लिए समिति को वन विभाग की ओर से इंसेंटिव भी दिया जाएगा. जिसके तहत हर समिति को हर साल 30 हजार रुपए इंसेंटिव के रूप में दिया जाएगा.
हालांकि, समितियां को इंसेंटिव की 50 फीसदी धनराशि वनाग्नि काल के शुरू होने और बाकी 50 फीसदी धनराशि वनाग्नि काल के बाद समिति के वनाग्नि नियंत्रण कार्यों का मूल्यांकन के बाद दिया जाएगा. इतना ही नहीं वनाग्नि सत्र के दौरान समितियों को सौंपे गए क्षेत्रों में वनाग्नि घटना होती है तो वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्र के आकलन के अनुसार प्रोत्साहन राशि में कटौती की जाएगी. हर समिति को करीब 500-600 हेक्टेयर वन क्षेत्र आवंटित किया जाएगा.
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