दतिया।दतिया जिला स्थित भरतगढ़ में श्री विजय राघव सरकार मंदिर 185 वर्ष पुराना है. मंदिर की स्थापना सन् 1839 में दतिया रियासत के तत्कालीन राजा विजय बहादुर सिंह जू देव ने कराई थी. यहां भगवान राम और माता सीता की आदमकद प्रतिमा है. जानकारों का कहना है कि इतनी बड़ी प्रतिमाएं पूरे बुंदेलखंड अंचल में कहीं नहीं हैं. पूरे बुंदेलखंड के अलावा यूपी के जिलों से भी रामभक्त यहां सालभर दर्शन करने के लिए आते हैं. राम नवमी पर यहां विशेष आयोजन होता है.
चक्रवर्ती सम्राट की तरह राजसी वेशभूषा में भगवान श्री राम
मंदिर के पुजारी बबलू सरवरिया बताते हैं प्रभु श्रीराम यहां चक्रवर्ती सम्राट की तरह राजसी वेशभूषा में तीर और धनुष लिए विराजमान हैं. उनके साथ भाई लक्ष्मण भी विराजमान हैं. मंदिर प्रांगण में श्री हनुमान जी की मंदिर भी है. दतिया के मंदिरों के इतिहास की जानकारी रखने वाले पं.विनोद मिश्र बताते हैं "दतिया के राजा विजय बहादुर धार्मिक प्रवृत्ति के थे. उन्होंने दतिया में कई मंदिरों की स्थापना कराई. रामभक्त होने के कारण उन्होंने सन् 1839 में यहां विजय राघव सरकार की स्थापना कराई थी. खास बात यह है कि राजा जब भी कोई नया वस्त्र धारण करते, उससे पहले वह विजय राघव सरकार को पहनाते बाद में वही उतरे हुए वस्त्र वह स्वयं धारण करते."
दतिया में रानी ने भी बनवाया था अवध बिहारी मंदिर
यहां हर साल रामनवमी के दिन राजा की विशेष सवारी मंदिर तक पहुंचती थी. इसी परंपरा के अनुसार इस साल की रामनवमी पर भी मंदिर में भगवान की जन्म आरती हुई और शाम को भजन संध्या के साथ सुंदरकांड का पाठ किया गया. खास बात ये है कि राजा विजय बहादुर के अलावा उनकी पत्नी और बड़ी रानी विजय कुंआरी भी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं. उन्होंने किला चौक पर अवध बिहारी मंदिर की स्थापना सन् 1843 में कराई थी. पं. विनोद मिश्र बताते हैं"यह मंदिर रामानंद संप्रदाय के भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है. मंदिर का विशाल प्रवेश द्वार और उस पर हुई चित्रकारी भी आकर्षित करती है."