किसानों को फसल के बचाव की दी जानकारी भरतपुर. जिले में करीब दो सप्ताह से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. ऐसे में सरसों की फसल में सफेद रोली और चेंपा का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि जिले के कुछ क्षेत्रों में सफेद रोली का हल्का प्रभाव नजर आया है. लेकिन अभी तक इन दोनों रोगों से सरसों की फसल में किसी तरह का नुकसान नहीं है. सर्दी और कोहरे के चलते यदि सरसों की फसल में इनका प्रभाव नजर आए, तो किसान इनसे बचाव के कुछ इंतजाम कर सकते हैं.
सफेद रोली से ऐसे करें बचाव: उद्यान विभाग के उपनिदेशक जनकराज मीणा ने बताया कि यदि सरसों की फसल में सफेद रोली के लक्षण नजर आएं, तो किसान इससे बचाव के लिए कुछ इंतजाम कर सकते हैं. किसान रेडोमिल एमजेड एक से दो ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं. इससे सफेद रोली का प्रभाव खत्म होगा और फसल में नुकसान नहीं होगा.
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चेंपा से ऐसे करें बचाव: उपनिदेशक जनकराज मीणा ने बताया कि यदि सरसों की फसल में चेंपा का प्रभाव नजर आए तो थायोमेथोक्सोन या डायमेथोएट का एक एमएल प्रति लीटर के हिसाब से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें. असल में मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण सरसों की फसलों में चेंपा कीट लगने की आशंका जनवरी माह में बढ़ जाती है. जब औसत तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस व मौसम में आद्रता, कोहरा ज्यादा होता है, तो चेंपा कीट फैलने की संभावना रहती है, जिससे किसानों की फसलों की पैदावार प्रभावित होती है.
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गौरतलब है कि भरतपुर संभाग सरसों उत्पादन में अग्रणी क्षेत्र है. संभाग के करीब 6 जिलों में 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में सरसों की फसल खड़ी है. यही वजह है कि यहां के किसानों को सर्दी के मौसम में सरसों की फसल को रोग से बचाने के लिए विशेष ध्यान देना पड़ता है.