नई दिल्ली: विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने साल 2025 में देश भर के विश्वविद्यालयों में स्नातक दाखिले के लिए होने वाली कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) परीक्षा के पैटर्न में बड़ा बदलाव किया है. यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने जानकारी दी कि कि अगले साल होने वाली सीयूईटी यूजी की परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होगी कि उन्होंने 12वीं में कौन सा विषय पढ़ा था. इस बार सीयूईटी की परीक्षा पूरी तरह से कंप्यूटर बेस्ड होगी. साथ ही इस बार परीक्षा 37 विषयों की जगह 63 विषयों में आयोजित की जाएगी.
बता दें कि साल 2022 से अब तक तीन बार सीयूईटी परीक्षा का आयोजन किया गया है. लेकिन, हर बार किसी न किसी समस्या को लेकर छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ता था. साथ ही उनकी परेशानी का प्रमुख कारण विषयों के चुनाव को लेकर भी होता था. लेकिन, अब अगले साल से यूजीसी ने छात्रों को इस बंधन से मुक्त कर दिया है. अब ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर यूजीसी के इस बदलाव से छात्र छात्राओं को किस तरह फायदा होगा.
छात्र छात्राओं को फायदा: प्रोफेसर अरोड़ा
यूजीसी के सीयूईटी में किए गए बदलाव से छात्र छात्राओं को होने वाले फायदे को लेकर ईटीवी संवादाता राहुल चौहान ने डीयू के रामजस कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर अजय कुमार अरोड़ा से बातचीत की. अजय कुमार अरोड़ा ने कहा कि यूजीसी का यह निर्णय स्वागतयोग्य है. इस निर्णय से छात्र छात्राओं को बड़ा फायदा होगा. उनके लिए 12वीं में पढ़े गए विषयों के अलावा अन्य बिना पढ़े हुए विषयों से संबंधित कोर्सेज में भी दाखिला लेने के विकल्प उपलब्ध हो गए हैं. इससे उन छात्र छात्राओं के पास भी अब अपने लिए अलग कोर्स चुनने का मौका होगा जिन्होंने अभिभावक के कहने पर या अन्य साथी छात्र छात्राओं को देखकर अपनी रुचि के विषय को छोड़कर दूसरे विषय से 12वीं कर ली थी. लेकिन, अब उनका मन 12वी में पढ़े गए विषय से संबंधित कोर्स में स्नातक करने का नहीं है तो वह अब अपने विषय को बदलकर अन्य पसंदीदा विषय से संबंधित कोर्स में दाखिला ले सकेंगे.
विषय का चुनाव सोच-समझकर करें छात्र-प्रोफेसर अजय अरोड़ा