जयपुर: पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम के मामले बीते कुछ सालों में भी तेजी से सामने आ रहे हैं. खास बात यह है कि राजस्थान पुलिस ने पहली बार मेडिकल जांच के दौरान रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की पुष्टि की है और एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है जो साल 2016 से लेकर 2020 तक एक नाबालिग बच्ची के साथ दरिंदगी करता रहा. मनोचिकित्सक की माने तो पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम किसी भी व्यक्ति या मरीज के लिए एक बुरे सपने जैसा होता है.
उदाहरण के लिए राजस्थान में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे है, जिनमें कम उम्र की नाबालिग बच्चियों को इंस्टाग्राम, फेसबुक पर दोस्ती के बाद ब्लैकमेल, शारीरिक शोषण का शिकार बनाया जा रहा है. बिजयनगर ब्लैकमेल कांड का मामला शांत नहीं हुआ कि जयपुर में एक ऐसा केस सामने आया जिसमें 12 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ. उसे ब्लैकमेल किया गया और उसकी छाती पर ब्लेड से आई लव यू लिखा गया. अब ये लड़की रेप ट्रॉमा सिंड्रोम/पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम का शिकार हो चुकी है. पीड़िता इन सबसे इस तरह ट्रॉमा में आई कि उसे 10 डॉक्टर्स को दिखाया गया और अब तक उसकी मानसिक स्थिति असंतुलित है.
महिलाओं को अधिक खतरा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो विश्व की 3.9% जनसंख्या अपने जीवन में किसी न किसी स्तर पर पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम की शिकार हुई है.
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि संभावित रूप से किसी भी दर्दनाक घटना के बाद व्यक्ति पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम की चपेट में आ जाता है. खास तौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम से पीड़ित रहती हैं.