पलामूःझारखंड-बिहार सीमा पर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के बीच नजदीकी बढ़ गई है. दोनों के टॉप कमांडर आपस में बैठक भी कर चुके हैं. यह बैठक चतरा में सटे बिहार के इलाके में हुई थी. जिसमें माओवादी और टीएसपीसी के भी कमांडर मौजूद थे. इसका खुलासा एक गिरफ्तार डॉक्टर ने किया है.
जानकारी के अनुसार गिरफ्तार डॉक्टर माओवादी और टीएसपीसी के टॉप कमांडरों का इलाज करता है. दरअसल, पलामू के पांकी इलाके में कुछ महीने पहले एक निजी नर्सिंग होम में एक गर्भवती महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई थी. परिजनों ने मामले में डॉक्टर और निजी नर्सिंग होम संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस ने मामले में छापेमारी करते हुए आरोपी डॉक्टर जीवन को गिरफ्तार किया था. इस दौरान जीवन की गतिविधि पुलिस को संदिग्ध लगी थी और उसका नक्सलियों के साथ कनेक्शन निकलकर सामने आया था. बाद में पलामू पुलिस ने जीवन को रिमांड पर लिया था. जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है. जीवन में पलामू पुलिस को नक्सली संगठनों के बारे में कई बड़ी जानकारी दी है, जो बेहद चौंकाने वाली है.
टीएसपीसी और माओवादी के टॉप कमांडरों का डॉक्टर करता था इलाजःदरअसल, डॉक्टर प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के टॉप कमांडर शशिकांत गंझू, आक्रमण गंझू, माओवादी के टॉप कमांडर मनोहर गंझू समेत कई नक्सलियों के संपर्क में था और उनका इलाज करता था. कुछ दिनों पहले टीएसपीसी के टॉप कमांडर शशिकांत गंझू टायफाइड से ग्रसित हो गया था. बाद में डॉक्टर जीवन ने ही जंगल में जाकर उसका इलाज किया था, जिसके बाद वह ठीक हुआ था. उसी ने पुलिस अधिकारियों को बताया है कि टीएसपीसी और माओवादी के बीच नजदीकी बढ़ी है और कुछ कमांडर आपस में बैठक कर रहे है. डॉ जीवन ने नक्सली कमांडरों के बीमारी के बारे में कई तरह की जानकारी दी है.
पूर्व में टीएसपीसी और माओवादियों के बीच हुए हैं खूनी संघर्षः 2004-05 में माओवादी का एक धड़ा अलग होकर तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी का गठन किया था. उसके बाद दोनों के बीच कई खूनी संघर्ष हुए थे. इस खूनी संघर्ष में दोनों तरफ से 150 से अधिक लोगों की जान गई है. माओवादी और टीएसपीसी का एकजुट होना खतरनाक है. टीएसपीसी तकनीक के मामले में माओवादी संगठन से कमजोर है. माओवादी संगठन की तकनीक टीएसपीसी को मिल सकती है.