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फर्जी डिग्री से बने सरकारी टीचर, कोर्ट ने सुनाई 5-5 साल कैद की सजा, शिक्षा निदेशालय को भी कार्रवाई के आदेश - COURT SENTENCED GOVERNMENT TEACHERS

कोर्ट ने फर्जी डिग्री से सरकारी शिक्षक बने दो व्यक्तियों को सजा सुनाई है. SIT एवं विभागीय जांच की रिपोर्ट पर कोर्ट ने दोषी माना.

COURT SENTENCED GOVERNMENT TEACHERS
कोर्ट ने फर्जी डिग्री से सरकारी शिक्षक बने दो व्यक्तियों को जेल भेजा (PHOTO- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 2, 2024, 5:21 PM IST

रुद्रप्रयाग: फर्जी डिग्री के आधार पर तैनात दो शिक्षकों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है. साथ ही फर्जी डिग्री के आधार पर धोखाधड़ी से नौकरी पाने के संबंध में दोषी करार पाते हुए 5-5 साल की कठोर कारावास की सजा और 10 हजार रुपए के अर्थदंड जुर्माने से भी दंडित किया गया है.

रुद्रप्रयाग जिले में तैनात फर्जी शिक्षक वीरेंद्र सिंह पुत्र जीत सिंह एवं रघुवीर सिंह बुटोला पुत्र भगत सिंह ने बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी प्राप्त की. शिक्षा विभाग के एसआईटी एवं विभागीय जांच के अनुसार दोनों शिक्षकों को दो अलग-अलग आपराधिक मामलों में अलग-अलग सालों में प्राप्त फर्जी बीएड की डिग्री से नौकरी प्राप्त करने पर उनकी बीएड की डिग्री का वेरिफिकेशन कराया गया. इसके बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें उपरोक्त दोनों फर्जी शिक्षकों के लिए कोई भी बीएड की डिग्री जारी नहीं हुई पाई गई.

शासन द्वारा एसआईटी जांच के बाद दोनों शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज कराया गया. साथ ही उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया गया, मुकदमे की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी के न्यायालय द्वारा उक्त फर्जी शिक्षकों को फर्जी डिग्री के आधार पर धोखाधड़ी से नौकरी प्राप्त करने के संबंध में दोषी करार पाते हुए आरोपियों को धारा-420 भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत 5-5 साल की कठोर कारावास की सजा और दस हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया गया है. साथ ही जुर्माना अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भी सुनाई गई है.

दोषसिद्ध फर्जी शिक्षक वीरेंद्र सिंह पुत्र जीत सिंह एवं रघुवीर सिंह बुटोला पुत्र भगत सिंह को ज्यूडिशियल कस्टडी में लेकर जिला कारागार पुरसाड़ी, चमोली भेज दिया गया है.

वहीं इस निर्णय एवं आदेश की प्रतिलिपि शिक्षा निदेशालय को भी प्रेषित की गई है. ताकि शिक्षा विभाग के गैर जिम्मेदार शिक्षा अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके.

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