देहरादून: राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून (एनआईईपीवीडी) में साल 2018 में छात्रा के साथ छेड़खानी व दुष्कर्म के मामले में स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आज मंगलवार 30 जनवरी को फैसला सुनाया है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीष पंकज तोमर की अदालत ने संस्थान के दिव्यांग शिक्षक और प्राचार्य को दोषी करार देते हुए शिक्षक को 20 साल और प्राचार्य को छह माह की सजा सुनाई है.
दरअसल, देहरादून में राजपुर रोड स्थित एनआईईपीवीडी (National Institute for the Empowerment of Persons with Visual Disabilities) में साल 2018 में नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था, जिसके बाद जिला बाल कल्याण समिति की तरफ से राजपुर थाने में शिक्षक सुचित नारंग के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. मुकदमा दर्ज होने के बाद काफी समय तक सुचित अंडरग्राउंड रहा और साथ ही उसने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिका भी दायर की थी. जब कोर्ट से जमानत नहीं मिली तो 25 सितंबर 2018 को सुचित ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था.
पुलिस ने जांच में पीड़ित छात्रा के बयान दर्ज किए तो सामने आया कि उसने मुकदमा दर्ज होने से करीब छह महीने पहले संस्थान की प्राचार्य और उप प्राचार्य से इसकी शिकायत भी की थी, लेकिन शिकायत पर कार्रवाई की बजाय संस्थान के अधिकारियों ने उसे दबाने की कोशिश की. पीड़िता के बयान के आधार पर मुकदमे की जांच कर रही एसआई विनीता चौहान ने एनआईईपीवीडी की तत्कालीन निदेशक अनुराधा डालमिया, प्राचार्य डॉ अनुसुया शर्मा, संस्थान कर्मचारी तेजी और लखनऊ के जिस आश्रम से पीड़ित छात्रा को एनआईईपीवीडी में पढ़ाई के लिए भेजा था, उसकी संचालिका पूर्णिमा को भी आरोपी बनाया था.