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बच्ची के एडॉप्शन को लेकर दंपती लाल-सीडब्ल्यूसी की कार्यशैली पर उठाये सवाल! जानिए, क्या है पूरा मामला - चाइल्ड वेलफेयर कमेटी

Couple raised questions on CWC in Ranchi. रांची में नाबालिग लड़की के एडॉप्शन को लेकर एक दंपती ने सीडब्ल्यूसी पर सवाल उठाया. उनका आरोप है कि सीडब्ल्यूसी बिना किसी लिखित प्रमाण के ही बच्ची को वापस लेना चाहती है.

Couple raised questions over CWC work on adoption of minor girl in Ranchi
रांची में नाबालिग लड़की को गोद लेने के मामले में दंपत्ति ने सीडब्ल्यूसी के काम पर सवाल उठाया है

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 26, 2024, 7:29 PM IST

जानकारी देते बच्ची की देखभाल कर रहे सचिदानंद खलखो

रांची: झारखंड में नौनिहालों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. ऐसा ही कुछ 12 साल की नाबालिग लड़की के साथ हुआ है. पहले गरीबी का दंश, फिर अभिभावक का अभाव और सिस्टम की मार झेलने को वो मजबूर है.

12 वर्ष पहले एक गरीब दंपती ने रांची सदर अस्पताल परिसर में एक बच्ची को जन्म दिया. 6 महीने बाद बच्ची की मां का निधन हो गया. जिसके बाद पिता ने स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची को शिशु आश्रम में रखवा दिया. आज बच्ची लगभग 12 वर्ष की हो चुकी है और आंचल नामक शिशु आश्रम का रजिस्ट्रेशन भी समाप्त हो गया है. जिस वजह से बच्ची को रखने में वह संस्थान सक्षम नहीं हैं.

बच्ची के भविष्य को देखते हुए चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने संज्ञान लिया और आंचल शिशु आश्रम में रह रही बच्ची को सिरम टोली स्थित प्रेमाश्रय आश्रम में भेज दिया. प्रेमाश्रय में जाने के बाद बच्ची की परिचित रहे एक वृद्ध दंपती सचिदानंद खलखो और उनकी पत्नी ने पोस्टल केयर के तहत नाबालिग को गोद लिया. पोस्टल केयर के अंतर्गत बच्ची की देखरेख सचिदानंद खलखो और उनकी पत्नी करने लगीं.

लेकिन 6 माह बीतने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के लोगों ने सचिदानंद खालखो को यह हिदायत दी कि वे बच्ची को फिर से प्रेमाश्रय पहुंचा दें. इसपर सचिदानंद खलखो बताते हैं कि बच्ची प्रेमाश्रय आश्रम में नहीं जाना चाहती है, क्योंकि उस आश्रम में बच्ची के साथ गलत व्यवहार किया जाता है. सचिदानंद ने कहा कि यह बात जब चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के लोगों को उन्होंने बताया तो चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के लोगों ने उन पर दबाव बनाया और पुलिसिया कार्रवाई करने की धमकी दी.

पोस्टल केयर गार्जियन के रूप में बच्ची की देखभाल कर रहे सचिदानंद खलखो और उनकी पत्नी बताती हैं कि जब बच्ची उनके साथ खुश है तो फिर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बच्ची को किसी और परिवार के घर क्यों भेजना चाहती है. सच्चिदानंद और उनकी पत्नी ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीडब्ल्यूसी के लोग बच्चे को किसी के यहां अडॉप्ट करवाना चाहते हैं लेकिन बच्ची उनके घर रहना चाहती.

सचिदानंद खलखो और उनकी पत्नी ने कहा कि उन्हें शक है कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के लोग बच्ची को किसी और के घर जबरदस्ती अडॉप्ट करवा देंगे जबकि बच्ची कहीं और नहीं जाना चाहती है. उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बच्ची के पिता को भी ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार बच्ची के पिता रांची में ही काम करते हैं. लेकिन सीडब्ल्यूसी के लोग बच्ची को पिता के पास पहुंचने के बजाय दूसरे परिवार को देना चाहते हैं.

वहीं बच्ची ने भी आरोप लगाते हुए कहा कि आंचल शिशु आश्रम का रजिस्ट्रेशन समाप्त होने के बाद वह सीडब्ल्यूसी के कहने पर कुछ दिन प्रेमाश्रय आश्रम में रहने गई थी. लेकिन वहां पर उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा था. बच्ची ने प्रेमाश्रय के प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनसे कोई काम नहीं होता था तो आश्रम में मौजूद लोग उसके साथ मारपीट करते थे. इसीलिए वो सच्चिदानंद खलखो और उनकी पत्नी के साथ ही रहना चाहती है.

वहीं पूरे मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्य प्रिय रंजन से बात की. इस पर उन्होंने बताया कि अगर बच्ची खलखो दंपती के साथ रहना चाहती है तो निश्चित रूप से बच्ची की बातों को गंभीरता से लिया जाएगा. लेकिन इससे पहले खलखो दंपती को बच्ची के साथ सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश होना होगा. एडॉप्शन पॉलिसी के तहत बच्ची को खलखो दंपती के पास सपुर्द कर दिया जाएगा.

वहीं सीडब्ल्यूसी की तरफ से यह भी बताया गया कि आंचल शिशु आश्रम से सीडब्ल्यूसी की निगरानी में प्रेमाश्रय आश्रम पहुंची थी, उसी समय एक दंपती ने इस बच्ची को अडॉप्ट करने की बात कही थी. लेकिन इसी बीच प्रेमाश्रय से बच्ची को लेकर खलखो दंपती भाग गए. इस पर सीडब्ल्यूसी के सदस्य प्रिय रंजन ने कहा कि बच्ची के द्वारा अगर प्रेमाश्रय पर आरोप लगाया जा रहा है तो निश्चित रूप से उसकी सुरक्षा को देखते हुए दूसरे आश्रम में भी रखने का इंतजाम किया जाएगा. वहीं प्रेमाश्रय पर लगाए गए आरोपों की जांच की जाएगी.

सीडब्ल्यूसी के सदस्य प्रिय रंजन ने बताया कि पोस्टल केयर रूप से अडॉप्ट करने वाले माता पिता से कभी भी बच्ची को सीडब्ल्यूसी अपनी कस्टडी में ले सकता है. उसी नियमावली के तहत बच्ची को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश करने के लिए कहा जा रहा है. लेकिन नियमों को ताक पर रखकर खलखो दंपती कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब बच्ची के पिता रांची में मौजूद हैं तो उसे खोजने का प्रयास क्यों नहीं किया जा रहा है. जिससे बच्ची को उनका बायोलॉजिकल फादर मिल सके.

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