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PMGSY के तहत 7 करोड़ की लागत से बनी सड़क निर्माण में धांधली, दिल्ली तक पहुंची शिकायत, जांच में खुल गई पोल - GORAKHPUR PMGSY ROAD corruption

यूपी के गोरखपुर जिले में बांसगांव के चौरी चौरा विधानसभा क्षेत्र (Gorakhpur News) में करीब 6 किलोमीटर लंबी सड़क में निर्माण के दौरान धांधली का मामला सामने आया है. सड़क का निर्माण पीएमजीएसवाई के तहत कराया जा रहा है.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 11:55 AM IST

OBC पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लगाए गंभीर आरोप
OBC पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लगाए गंभीर आरोप (Photo credit: ETV Bharat)

OBC पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लगाए गंभीर आरोप (Video credit: ETV Bharat)

गोरखपुर : केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री के संसदीय क्षेत्र बांसगांव के चौरी चौरा विधानसभा क्षेत्र में करीब 6 किलोमीटर लंबी सड़क में निर्माण के दौरान धांधली उजागर हुई है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 7 करोड़ 42 लाख 47 हजार की लागत से सड़क का निर्माण कराया गया है. इस धांधली को ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष काली शंकर यादव ने मौके के परीक्षण के आधार पर पुष्टि करने का कार्य किया है.

नियमों की अनदेखी कर समय बीत जाने के बाद भी जब इस सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो पाया तो काली शंकर ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के निदेशालय दिल्ली में की. जिसके निर्देश पर बुधवार को एक जांच टीम जब मौके पर पहुंची तो न तो सड़क की मोटाई मानक के अनुरूप पाई गई, न ही अन्य गुणवत्ता से जुड़ी हुई चीज. जो अधिकारी और इंजीनियर मौके पर जांच के लिए गए थे वह काली शंकर के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे. काली शंकर ने कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई में लूट और भ्रष्टाचार वह नहीं होने देंगे.

विभागीय नियमों की अनदेखी कर इस सड़क को बनाए जाने का जो खेल किया गया है उसका भी जवाब विभाग इंजीनियर और ठेकेदार को मिलकर देना होगा. काली शंकर ने कहा है कि उनकी शिकायत केंद्रीय निदेशालय दिल्ली तक पहुंची है और इस मामले में वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कराकर ही दम लेंगे.

काली शंकर ने बताया कि चौरी-चौरा के ब्रह्मपुर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार और लापरवाही साफ नजर आई है. यह सड़क ब्रह्मपुर ब्लॉक में गोबडोर चौक से लेकर टम्टा तक लगभग 6 किलोमीटर में बनाई जानी है. प्रधानमंत्री सड़क निर्माण योजना की गाइडलाइन में साफ है कि सड़क निर्माण 9 महीने के अंदर खत्म हो जाना चाहिए या अधिकतम साल भर तक एक्सटेंशन दिया जा सकता है, जबकि सड़क के निर्माण में साल भर से अधिक का समय हो चुका है और सड़क आधी भी नहीं बनी है. काली शंकर ने प्रधानमंत्री सड़क ग्राम योजना की गाइडलाइन का उल्लेख करते हुए बताया कि सड़क निर्माण का संयुक्त निरीक्षण, 2 महीने में ग्राम प्रधानों के साथ संयुक्त रूप से होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि 4 महीने में विधायक के साथ और 6 महीने के अंदर सांसद के साथ संयुक्त निरीक्षण होना चाहिए, जबकि एक भी निरीक्षण किसी के भी साथ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इसे जनप्रतिनिधियों की लापरवाही कहें या कहें कि अज्ञानता जिसका फायदा विभागीय इंजीनियर और ठेकेदार मिलकर उठा रहे हैं. काली शंकर ने निष्पक्ष एजेंसी से इस सड़क निर्माण की जांच मांग की है और इसकी शिकायत दिल्ली केंद्रीय निदेशालय पीएमजीएसवाई तक पहुंचाई है. उन्होंने कहा कि लगता है कि विधायक सांसद अपने अधिकार नहीं जानते, या जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं. संयुक्त निरीक्षण में साफ-साफ सड़क निर्माण की खामियां दिखाई दी हैं.

ओबीसी पार्टी द्वारा लगातार शिकायत किए जाने के बाद बुधवार को संयुक्त रूप से जांच के दौरान असिस्टेंट इंजीनियर केके पांडेय और जूनियर इंजीनियर के साथ निर्माण एजेंसी के ठेकेदार की उपस्थिति थी. मानक के विपरीत हो रहे सड़क निर्माण की कमियों को मौके पर बताया गया, जिसमें दो जगह सड़क की मोटाई नापी गई. एक जगह पर केवल 1 सेंटीमीटर सड़क की मोटाई पाई गई और दूसरी जगह पौने तीन सेंटीमीटर पाई गई, जबकि ऊपरी लेयर कम से कम 3 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

पैदल यात्रियों के लिए सड़क के किनारे-किनारे मानक के अनुरूप मिट्टी डालकर चौड़ाई नहीं बढ़ाई गई और न ही पानी निकासी के लिए नाली ही बनाई गई है. सड़क के बीचों-बीच कई जगह विद्युत पोल हैं जिसे हटाया भी नहीं गया, जबकि यह सारी जिम्मेदारी सड़क निर्माण एजेंसी की है. ओबीसी पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि मानक के खिलाफ सड़क बनी तो जनता भी सड़क पर उतरकर लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए बाध्य होगी.

इस मामले में ईटीवी भारत ने ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधिशासी अभियंता सुरेंद्र प्रताप से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि, सड़क जब बनकर तैयार होगी तो पूरी गुणवत्ता युक्त होगी. निर्माण के दौरान कमियां रहती हैं तो उसे भी जांच करते हुए दूर कराया जाता है. फिलहाल इस शिकायत को संज्ञान में लिया गया है, लेकिन वह भी सांसद-विधायक से निरीक्षण करने के सवाल पर चुप्पी साथ गए.

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