आरटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा ने ईटीवी भारत को दी जानकारी (video credit- Etv Bharat) गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में वर्ष 2021 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान, बीडीओ(खण्ड विकास अधिकारी) और एडीओ पंचायत के द्वारा मिलकर, 650 करोड़ों रुपये लूट लिए गए. लेकिन, इस लूट को न तो प्रशासनिक स्तर पर पकड़ा गया और न ही ऑडिट में यह मामला पकड़ में आया. लेकिन, गोरखपुर के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने इस लूट को बारीकी से समझा और इसकी सूचना प्राप्त करने के साथ, शिकायत शासन स्तर पर पहुंचा दी. इसके बाद शासन ने आरटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा की शिकायत का संज्ञान लेकर करीब 3 महीने तक मुख्यालय स्तर पर जांच कराई.
इसके बाद भ्रष्टाचार और लूटपाट का ग्राम पंचायत में यह मामला उजागर हुआ. जिसमें बीडीओ और एडीओ पंचायत की मिलीभगत सामने आई है. अब निदेशक पंचायती राज ने इस मामले की जांच प्रदेश के सभी जिलाधिकारी को करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद से अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. उन बीडीओ और एडीओ पंचायत की धड़कनें तेज हैं, जिन्होंने पंचायत चुनाव के बाद, निर्वाचित हुए प्रधानों के शपथ ग्रहण करने के करीब 20 दिन की अवधि में उस शासकीय धन का बंदरबांट किया जिसका उन्हें अधिकार ही नहीं था.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा ने कहा, कि इस मामले में धोखाधड़ी और आर्थिक अपराध हुआ है. अब केवल जिलाधिकारी स्तर से गठित कमेटी को इसकी पुष्टि करनी है. कुछ जगहों से इसकी पुष्टि भी तय हो रही है. ऐसे में इस मामले में पंचायत से जुड़े तमाम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी तय है. अगर गोरखपुर जिले की बात करें, तो यहां करीब 5 करोड़ 94 लाख रुपये निकाले गए हैं. डीएम ने 18 सदस्यीय टीम बनाकर सभी 18 ब्लॉकों में इसकी जांच भी शुरू करा दी है. जांच करने वाले सभी 18 जिला स्तरीय अधिकारी हैं. जिलाधिकारी ने इस जांच रिपोर्ट को हर हाल में 10 अगस्त तक उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया है. इसमें दोषियों का विवरण भी जांच अधिकारियों को प्रमुखता से शामिल करना होगा.
इसे भी पढ़े-गोरखपुर को मिली एक और सौगात; UP SSF के लिए बनेगी हाईटेक बिल्डिंग, 343 करोड़ का आएगा खर्च, मिलेगी खास सुविधा - UP SSF Gorakhpur
आईटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा ने बताया, कि इस मामले में देवरिया में कार्रवाई होनी तय की गई है. जिसके बाद से गोरखपुर समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी पंचायत से जुड़े अधिकारियों में खलबली मची है. इस मामले की जांच के लिए पंचायती राज निदेशक ने अप्रैल माह में ही समस्त जिलाधिकारी को निर्देश दिया था. लेकिन, उनके स्तर पर भी लापरवाही बरती जा रही थी. दोबारा फिर रिमाइंडर दिया गया है. मात्र 15 दिन का समय दिया गया. तब जाकर समस्त जिलाधिकारी ने भी तेजी दिखाई. अब यह मामला बवंडर का रूप ले लिया है.
आईटीआई एक्टिविस्ट के अनुसार पंचायत चुनाव के दौरान समस्त धन के आहरण- वितरण के कार्य पर जहां रोक लगी, वहीं पर पूरी व्यवस्था की देखभाल के लिए प्रशासक की तैनाती की गई. इन्हीं प्रशासकों ने मिलकर उस धन को निकाल लिया जिसका उन्हें अधिकार ही नहीं था. यह धन 5 मई से 25 मई 2021 के बीच निकल गए हैं. जबकि इसके पहले सभी ग्राम पंचायत में प्रधान निर्वाचित हो चुके थे और उनके शपथ ग्रहण की घोषणा भी हो चुकी थी.
गोरखपुर में चल रही जांच के संबंध में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा है, कि शासन के निर्देश पर जांच शुरू कर दी गई है. जिला स्तरीय अधिकारी जांच कर रहे हैं. इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जांच अधिकारियों को सपोर्ट करने के लिए लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग और ग्राम विकास विभाग के एक-एक सहायक अभियंता को भी लगाया गया है. जिससे जांच शासन के निर्देश के क्रम में समय से पूरी की जा सके. वहीं, संजय मिश्रा ने कहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति कई विभागों में लागू नहीं हो पा रही है. पंचायत राज विभाग में हुआ यह कारनामा इसका बड़ा सबूत है.
यह भी पढ़े-PMGSY के तहत 7 करोड़ की लागत से बनी सड़क निर्माण में धांधली, दिल्ली तक पहुंची शिकायत, जांच में खुल गई पोल - GORAKHPUR PMGSY ROAD corruption