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भरतपुर के इस गांव के रक्षक हैं महादेव,यहां के लोग आज भी 1100 वर्ष प्राचीन शिवलिंग की करते हैं पूजा - Copper age Shivling worship

भरतपुर से 5 किमी दूर स्थित गांव नौंह में आज भी 1100 वर्ष प्राचीन शिवलिंग की पूजा की जाती है. इस प्राचीन शिवलिंग की करीब 200 वर्ष से पूजा की जा रही है. जब भी गांव में कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो यह शिवलिंग उससे पूरे गांव की रक्षा करते हैं. जानते हैं यह खास रिपोर्ट...

गांव के रक्षक हैं महादेव
गांव के रक्षक हैं महादेव (फोटो ईटीवी भारत gfx)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 24, 2024, 6:12 AM IST

1100 साल पुराना शिवलिंग (VIDEO : ETV BHARAT)

भरतपुर. आज से सावन मास शुरू हो गया है. शिवालयों में हर हर महादेव और बम बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं. हर शिवालय की अपनी एक मान्यता है. भरतपुर से 5 किमी दूर स्थित गांव नौंह में आज भी 1100 वर्ष प्राचीन शिवलिंग की पूजा की जाती है. यहां के लोगों की मान्यता है कि यह महज शिवलिंग नहीं बल्कि ये गांव के रक्षक हैं. इस शिवलिंग का इतिहास भी बहुत प्राचीन है.

200 वर्ष से कर रहे पूजा : गांव के बुजुर्ग हरमूल शर्मा ने बताया कि गांव में स्थापित इस प्राचीन शिवलिंग की करीब 200 वर्षों से ग्रामीण पूजा कर रहे हैं. यह शिवलिंग बहुत ही प्राचीन है. गांव में हुए उत्खनन के दौरान इतिहासकारों ने इसे ताम्रयुगीन यानी करीब 1100 वर्ष प्राचीन बताया था. फिलहाल यह शिवलिंग गांव में स्थित ऐतिहासिक स्मारक के परिसर में स्थापित है. आज भी यहां ग्रामीण हर दिन आकर पूजा आराधना करते हैं.

ऐसे करते हैं गांव की रक्षा : गांव के बुजुर्ग हरमूल शर्मा ने बताया कि यह कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है. यह बहुत ही चमत्कारिक शिवलिंग है. हरमूल शर्मा ने बताया कि यह प्राचीन शिवलिंग वर्षों से गांव की रक्षा करते आ रहे हैं. जब भी गांव में कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो यह शिवलिंग उससे पूरे गांव की रक्षा करते हैं. उन्होंने बताया कि वर्षों से गांवों में ओलावृष्टि नहीं हुई और उसका कारण यह चमत्कारिक शिवलिंग है. यदि गांव में ओलावृष्टि होना शुरू हो जाए तो इस शिवलिंग की शंख बजाकर परिक्रमा लगाने मात्र से ओलावृष्टि रुक जाती है.

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गांव में दबा है कई सभ्यताओं का इतिहास : गौरतलब है कि नौंह गांव में ताम्र आर्य और महाभारत कालीन सभ्यता के अवशेष मिल चुके हैं. वर्ष 1963 में पुरातत्व विभाग की ओर से इस गांव में किए गए उत्खनन के दौरान मौर्य कालीन, शुंग, कुषाण, ताम्र, आर्य और महाभारत कालीन सभ्यता के अवशेष मिले थे. माना जाता है कि बलुआ पत्थर से निर्मित ये शिवलिंग भी करीब 1100 वर्ष प्राचीन है.

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