शिमला: हिमाचल प्रदेश की कुटलैहड़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विवेक शर्मा ने बाजी मारी है. कुटलैहड़ सीट कांग्रेस की झोली में डालने का दबाव डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री पर था. ये सीट डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के गृह जिले में आती है. कांग्रेस प्रत्याशी विवेक शर्मा अपना पहला चुनाव लड़ रहे थे. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी देविंदर भुट्टो को चुनाव में पटखनी दी है.
विधानसभा उपचुनाव में चार सीटें जीतने के बाद कांग्रेस की सदस्या संख्या अब विधानसभा में 38 हो गई है. ऐसे में अब सुक्खू सरकार को खतरा नहीं है और वो सेफ जोन में पहुंच चुकी है. ऊना जिले की कुटलैहड़ और गगरेट सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस के विवेक शर्मा ने कुटलैहड़ सीट पर बीजेपी उम्मीदवार देविंदर भुट्टो को हराकर इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा है. विवेक शर्मा ने 5,356 वोटों से जीत हासिल की है. नोटा पर भी 341 वोट पड़े हैं. 2022 में कांग्रेस ने लगभग तीन दशक बाद इस सीट पर जीत हासिल की थी. इस सीट पर तीन दशक तक बीजेपी का कब्जा था. 2022 में कांग्रेस की टिकट पर देविंदर भुट्टो ने जयराम सरकार में मंत्री रहे वीरेंद्र कंवर को हराया था.
2024 | कुटलैहड़ विधानसभा उपचुनाव | ||||
प्रत्याशी | विवेक शर्मा (कांग्रेस) | रिजल्ट | देविंदर भुटो (बीजेपी) | रिजल्ट | मार्जिन |
वोट | 36,853 | जीत | 31,497 | हार | 5,356 |
2022 | कुटलैहड़ विधानसभा चुनाव | ||||
प्रत्याशी | देविंदर भुट्टो (कांग्रेस) | रिजल्ट | वीरेंद्र कंवर (बीजेपी) | रिजल्ट | मार्जिन |
वोट | 36,636 | जीत | 29, 057 | हार | 7,579 |
क्यों भारी पड़े विवेक शर्मा
देविंदर भुटटो ने 2022 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीता था, लेकिन इससे पूर्व में भी भाजपा के भी सदस्य थे. वीरेंद्र कंवर के साथ उनकी खासी नजदीकियां थी, लेकिन बाद में दोनों में मनमुटाव हो गया और भुटटो ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, अब एक बार फिर भुट्टो ने घर वापसी की थी. बगावत के बाद भुट्टो को प्रत्याशी बनाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नराजगी भी जाहिर की थी.
वरिष्ठ पत्रकार ओपी वर्मा ने कहा कि भुट्टो को टिकट दिए जाने के बाद कुटलैहड़ से पूर्व विधायक वीरेंद्र कंवर कोप भवन में चले गए थे. उन्होंने बीजेपी की बैठकों से एकदम से किनारा कर लिया था. चुनावी रणनीति से भी उनकी दूरी देखने को मिली थी. उन्होंने बीजेपी हाईकमान से दोबारा टिकट वितरण पर सोच विचार करने के लिए कहा था. राजीव बिंदल उन्हें मनाने उनके घर भी गए थे, लेकिन उनकी नाराजगी दूर नहीं कर पाए थे. पार्टी बैठकों की अनुपस्थिति पर देविंदर भुट्टो ने कहा था कि कंवर उनके घर के सदस्य हैं और उनके साथ बैठकर बातचीत की जाएगी, लेकिन नतीजों के बाद लगता है कि नाराजगी दूर नहीं हुई है.