चंडीगढ़:हरियाणा में वीरवार को नामांकन का आखिरी दिन था. बीजेपी को छोड़कर लगभग सभी दल अंतिम क्षण तक उम्मीदवारों की सूची जारी करते रहे. क्षेत्रीय दलों की बात छोड़िए, देश की राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस भी अंतिम क्षण तक 90 उम्मीदवार पूरे करने में जुटी दिखाई दी. इसे अब पार्टी की रणनीति कहें या बागियों से पार्टी के पार पाने का तरीका. लेकिन इन सब में कहीं न कहीं पार्टी जिस मकसद से यह सब करती दिखाई दी, उस में भी वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाई.
कांग्रेस ने लिया गठबंधन का सहारा!: पार्टी ने बुधवार रात 40 उम्मीदवारों की सूची जारी की. जिसके बाद नामांकन के आखिरी दिन आखिरी उम्मीदवार घोषित करने में दोपहर के दो बज गए. वहीं, फिर भी पार्टी 89 का ही आंकड़ा पूरा कर पाई, जबकि 90 का आंकड़ा चुने के लिए उसे भिवानी विधानसभा क्षेत्र पर (सीपीआईएम) का साथ लेना पड़ा. यानी इसको सीपीआई ( एम) के साथ एक सीट का गठबंधन भी भी कहा जा सकता है, जिसको करने के लिए पार्टी अंतिम क्षण में मजबूर दिखाई दी.
क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार?: हालांकि वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल मानते हैं कि एक राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी कांग्रेस की नामांकन के आखिरी पल में जो स्थिति दिखाई दी. वह हैरान करने वाली है. पार्टी को 88 से 89 होने के लिए अंतिम क्षण में पार्टी में ए नेता को उम्मीदवार बनाना पड़ा. वहीं 90 का आंकड़ा छूने के लिए उसे सीपीआई (एम) का साथ लेना पड़ा.
कांग्रेस के बागी नेताओं ने निर्दलीय किया नामांकन: वे कहते हैं कि यह बात इसलिए भी अजीब दिखाई देती है, क्योंकि पार्टी के नेता आम आदमी पार्टी से गठबंधन की बात पर यह बयान दे रहे थे कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है. वे कहते हैं कि पार्टी शायरी उम्मीद कर रही थी की अंतिम क्षण में उम्मीदवार उतारने से उसे बागियों की बगावत से बचने का मौका मिलेगा. बावजूद इसके करीब एक दर्जन नाराज नेताओं ने फिर भी निर्दलीय नामांकन दाखिल कर लिया.