देहरादून: उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू करने की मांग हो रही है. जिसे लेकर आमजन लगातार आवाज उठा रहे हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत ने सख्त भू कानून पर अपनी बात रखकर इस मुद्दे को हवा दे दी है. भू कानून को लेकर हरीश रावत ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जिससे अब सियासत गरमा गई है.
सख्त भू कानून को लेकर 'फायर' हुए हरीश रावत:पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है. जिसमें उन्होंने सख्त भू कानून की मांग करने वाले युवाओं की तारीफ की है. उनका कहना है कि उनके संघर्ष ने विपक्ष को भी पीछे छोड़ दिया है. इसके अलावा उन्होंने बीजेपी सरकार पर कुछ प्रभावी लोगों को संरक्षण देने के गंभीर आरोप भी मढ़े हैं. साथ ही कहा कि जब सब कुछ लुट जाएगा, तब बीजेपी सरकार भू कानून लाएगी.
दरअसल, हरीश रावत ने एक पोस्ट साझा किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है, 'सख्त भू कानून, दोस्तों आपने इस संघर्ष में विपक्ष को पीछे छोड़ा है. मगर भाजपा की सरकार तो सख्त भू कानून तब लाएगी, जब सब कुछ लुट जाएगा. यह उत्तराखंड में जमीन को लेकर जो निहित स्वार्थ हैं, वो बहुत शक्तिशाली हैं. उन्हें बड़े-बड़े प्रभावी लोगों का जो सरकार में और सरकार से बाहर भी हैं, उनका संरक्षण है.'
हरीश रावत का बयान (फोटो- ETV Bharat GFX) इसके हरीश रावत ने आगे लिखा है, 'अब तो उन लोगों ने यहां की जमीनों को हड़पने के कुछ और नए तरीके भी निकाल दिए हैं. हमारे अपने लोग जिनके भविष्य के लिए आप चिंतित हैं, वो भी इस खतरनाक खेल का हिस्सा बन रहे हैं.' इस तरह से हरीश रावत ने कई गंभीर आरोप लगाकर निशाना साधा है. उधर, मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति लगातार सख्त भू कानून को लेकर अपनी आवाज मुखर कर रहा है. इतना ही नहीं प्रदेश के कई हिस्सों में रैलियां भी निकाली जा चुकी है.
सीएम पुष्कर धामी कर चुके ये दावा:गौर हो कि हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने प्रेस वार्ता कर आगामी विधानसभा बजट सत्र के दौरान सख्त भू कानून लाने की बात कही थी. इसके साथ ही नियमों को ताक पर रखकर नगर निगम क्षेत्र से बाहर जिसने भी 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदा है, उनका विवरण तैयार किया जा रहा है.
सीएम धामी का बयान (फोटो- ETV Bharat GFX) वहीं, जिन्होंने कृषि भूमि खरीदी है, उसके इतर अगर कोई काम किया जा रहा है तो उनका विवरण तैयार किया जा रहा है. विवरण तैयार होने के बाद जितने भी ऐसे मामले सामने आएंगे, उन सभी संबंधित जमीनों को राज्य सरकार में निहित कर दिया जाएगा. वहीं, वन मंत्री सुबोध उनियाल भी कह चुके हैं कि प्रदेशवासी अपने पैतृक भूमि को संरक्षित करें और उसकी बिक्री न करें.
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