चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस विधानसभा चुनाव की हार की वजहों को टटोलने में लगातार जुटी हुई है. प्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में हार की वजहों को जानने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था. पूर्व विधायक करण सिंह दलाल को इसका प्रमुख बनाया गया था. अब करण सिंह दलाल ने इस मामले में बनाई रिपोर्ट मीडिया के सामने रखी, जिसमें उन्होंने सरकार, अधिकारी और ईवीएम पर इसका ठीकरा फोड़ा है.
नतीजे हैरान कर देने वाले थे :मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल ने कहा कि हरियाणा कांग्रेस ने हाई कमान के आदेश पर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की थी. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हर सर्वे और पूरा माहौल कांग्रेस के पक्ष में था. मतदान के दिन हर बूथ पर कांग्रेस ही कांग्रेस थी, बीजेपी कहीं नहीं थी. इसके बावजूद जो नतीजे आए, उनसे सब हैरान हैं.
किसको कितने वोट मिले, ये नहीं बताया गया : उन्होंने कहा कि ईवीएम मशीन और सरकार के अधिकारियों ने जनभावनाओं के साथ धोखा किया है. ईवीएम एक केल्कुलेटर की तरह है. चुनाव आयोग ने 5 अक्टूबर को मतदान के दिन किस उम्मीदवार को कितने वोट पड़े, इसकी जानकारी नहीं दी बल्कि प्रतिशत का अपडेट दिया है.
आधी रात को वोट प्रतिशत हाईक कर दिया गया : उन्होंने कहा कि ईवीएम की बैटरी एक मुद्दा बनी हैं, जो आयोग ने स्वीकार नहीं किया. 17- सी फार्म उम्मीदवारों को कई जगह दिया ही नहीं गया. अगर दिया तो अपनी मर्जी से दिया. 5 अक्टूबर को चुनाव में वोट प्रतिशत 61.19 था जो कि 1 करोड़ 24 लाख 54 हजार 827 वोट हुए. इसके बाद रात को 11:45 पर वोट प्रतिशत 65.65 बताया गया.
बीजेपी ने अधिकारियों का दुरुपयोग किया है : करण सिंह दलाल ने कहा कि आयोग या बीजेपी सरकार का कोई मंत्री मेरे आंकड़े को गलत साबित कर देता है तो मैं रिपोर्ट वापिस लेकर माफी मांगूगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने ईवीएम और अधिकारियों पर दबाव बनाकर दुरुपयोग किया है. बीजेपी ने सिलेक्टेड शहरी एरिया में ईवीएम में गड़बड़ी की है, ग्रामीण क्षेत्र में नहीं की.
नूंह का वोटिंग प्रतिशत घटाया गया, जबकि पंचकूला का बढ़ाया गया : उन्होंने कहा कि वोट प्रतिशत पूरे हरियाणा में 7 अक्टूबर तक बढ़ाते रहे, जबकि नूंह में घटाया गया है. चरखी दादरी और पंचकूला में वोट प्रतिशत काफी बढ़ाया गया है. थानेसर विधानसभा में भी कुल वोट पोल हुए, उससे 2 वोट ज्यादा मिले है. उन्होंने कहा कि कुछ हलकों में वोट कम हुए, कुछ में ज्यादा हुए ऐसे कैसे हो सकता है.
ईवीएम बनाने वाली कंपनियों के डायरेक्टर बीजेपी के पदाधिकारी हैं : उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में कई हलकों के दस से बारह हजार वोट गिने ही नहीं गए हैं. ईवीएम मशीन नहीं है, ये एक धोखा और छलावा है. ईवीएम बनाने वाली कंपनियों में डायरेक्टर बीजेपी के पदाधिकारियों को बनाया हुआ है. निष्पक्ष चुनाव के लिए जो मशीनें बनाई गई, उनकों गाड़ियो में ले जाया जा रहा था.