जैतखाम पर गठित समिति ने पीसीसी चीफ को सौपी रिपोर्ट, कांग्रेस ने बताया इंटेलिजेंस फेलियर - investigate Jaitkham issue - INVESTIGATE JAITKHAM ISSUE
बलौदाबाजार में हुई आगजनी और तोड़फोड़ को लेकर कांग्रेस ने अपनी एक जांच कमेटी बनाई थी. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट आज पीसीसी चीफ को सौंप दी. रिपोर्ट में ये आरोप लगाया है कि हंगामा और बवाल खुफिया विभाग की नाकामी का नतीजा रही.
पीसीसी चीफ को जांच टीम ने सौंपी रिपोर्ट (ETV Bharat)
रायपुर: बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी में हुई तोड़फोड़ और उसके बाद आगजनी केस में अभी तक सियासत जारी है. कांग्रेस ने सरकार के समानांतर एक जांच कमेटी बनाई थी. कांग्रेस की जांच कमेटी ने आज अपनी रिपोर्ट अपने प्रदेश अध्यक्ष को सौंप दी. रिपोर्ट में ये आरोप लगाया है कि हंगामा और आगजनी सरकार की बड़ी विफलता रही. सरकार की खुफिया एजेंसी इस बात का पता लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई. कांग्रेस की ये जांच कमेटी पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया के नेतृत्व में बनाई गई थी.
कांग्रेस ने बताया इंटेलिजेंस फेलियर (ETV Bharat)
बलौदाबाजार हंगामा और आगजनी केस में कांग्रेस की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक:शिवकुमार डहरिया ने अपनी जांच रिपोर्ट मीडिया के सामने सार्वजनिक किया. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ''15 मई 2024 की दरम्यानी रात गिरौदपुरी के महकोनी गांव के जैतखाम को अज्ञात लोगों के द्वारा नुकसान पहुंचाया गया. 17 मई 2024 को सतनामी समाज द्वारा उक्त घटना के खिलाफ गिरौदपुरी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराया गया.''
''इस मुद्दे पर जान बूझकर जांच की दिशा को डायवर्ट किया गया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को फंसाया जा रहा है. सरकार ने अपनी बला टालने के लिए कांग्रेस पर आरोप मढ़ा. सरकार को सब पता था. इतनी बड़ी संख्या में लोग जमा हो रहे थे पुलिस वाले क्या करते रहे''. - दीपक बैज, पीसीसी चीफ
''नागपुर से भी लोग यहां पहुंचे थे. इतनी बड़ी संख्या में लोग जुटते रहे और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी. हमारी मांग है कि निष्पक्ष जांच हो. दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले.'' - शिवकुमार डहरिया. कांग्रेस जांच समिति के अध्यक्ष
शिवकुमार डहरिया का दावा: जांच रिपोर्ट में डहरिया ने बताया है कि'' पुलिस प्रशासन ने बिहार प्रांत के तीन लोगों को आनन-फानन घटना का दोषी मानकर पकड़ लिया. पुलिस द्वारा यह बताया गया कि एक ठेकेदार के अंदर में काम करने वाले मजदूर थे. मजदूरी नहीं मिलने पर गुस्से में जैतखाम को नुकसान पहुंचाया. समाज विशेष के लोग इससे नाराज थे. जो कार्रवाई पुलिस ने की उससे भी वो असंतुष्ट थे. समाज के लोग जांच की मांग कर रहे थे. पुलिस ने और प्रशासन ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद गिरौदपुरी में एक बैठक हुई.''
क्या कहती है कांग्रेस की जांच रिपोर्ट: पूर्व मंत्री ने अपनी जांच रिपोर्ट में दावा किया है कि'' सरकार और प्रशासन द्वारा समुचित संज्ञान न लिये जाने पर 7 जून को प्रशासन को 10 जून को बलौदाबाजार में आंदोलन करने का ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन सौंपने वालों में समाज के पदाधिकारियों के साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष सनम जांगडे भी शामिल थे. 10 जून के आंदोलन के लिए सोशल मीडिया में भीम आर्मी सहित अन्य संगठनों के द्वारा भारी संख्या में सामाजिक लोगों को शामिल होने की अपील प्रसारित की. सभा में महाराष्ट्र और अन्य प्रांतों के लोग भी वाहनों में आये. कुछ लोग एक दिन पहले आकर बलौदाबाजार में रुके रहे. 10 जून को बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में सुबह से ही भारी संख्या में लोगों का आना-जाना चालू हो गया. लगभग 10 हजार की भीड़ उपस्थित हुई और लगभग तीन घंटे तक सभा हुई. सभा के बाद रैली के माध्यम से कलेक्ट्रेट तक गये जिसमें असामाजिक तत्वों ने घुस कर आगजनी और तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया''.
इंटेलिजेंस फेलियर के चलते हुई घटना: कांग्रेस ने दावा किया है कि जांच के दौरान ये बात सामने आई की सरकार की खुफिया विभाग पूरी तरह से नाकाम साबित हुई. हिंसा और आगजनी की आशंका को ये लोग नहीं भांप पाए. समय रहते अगर सरकार चेत जाती समाज विशेष की मांग मान लेती तो घटना नहीं होती.