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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले इंडिया गठबंधन खेमे में खटपट? कांग्रेस ने तोरपा और खूंटी पर ठोका दावा - Khunti Torpa assembly Seat

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने खूंटी और तोरपा सीट पर दावा ठोका है. दोनों छोटानागपुर प्रमंडल के सबसे हॉट सीट माने जाते हैं.

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ग्राफिक्स इमेज (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 6, 2024, 11:56 AM IST

खूंटी:झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए इंडिया ब्लॉक में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद और सीपीआई माले शामिल हैं. इन दलों में कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा और कौन-कौन सी सीट किसके खाते में जाएगी, यह अभी तक राज बना हुआ है. हालांकि कांग्रेस और झामुमो ने सीटों पर दावेदारी शुरू कर दी है. छोटानागपुर प्रमंडल के सबसे हॉट सीट 'खूंटी और तोरपा' पर कांग्रेस ने दावा ठोका है.

झामुमो जिलाध्यक्ष का बयान (ETV BHARAT)

कांग्रेस का दावा है कि जिस तरह हम लोगों ने लोकसभा सीट जीता है, उसी तरह दोनों विधानसभा सीट जीतेंगे. विगत दिनों सांसद कालीचरण मुंडा और जिलाध्यक्ष रवि मिश्रा ने दावा किया था कि जिस तरह खूंटी लोकसभा सीट जीते हैं, उसी तरह दोनों सीट कांग्रेस जीतेगी, लेकिन यहां दोनों सीटों पर झामुमो लगातार चुनाव लड़ते आई है और तोरपा सीट जीतते भी आई है.

झुाममो के बदौलत कांग्रेस ने जीत हासिल की: जिलाध्यक्ष

झामुमो के जिलाध्यक्ष सह 20 सूत्री उपाध्यक्ष जुबेर अहमद ने कहा कि झामुमो पिछले पांच वर्षों से रिहर्सल करते हुए आखिरी पड़ाव पर पहुंच गई है, लेकिन हम लोग रिहर्सल करते हुए यहां तक पहुंचे हैं. झामुमो हमेशा से तैयार रहती है, कुछ करने की जरूरत नहीं. महागठबंधन के प्रत्याशी को जीत दिलाने में झामुमो ने पूरी ताकत लगा दी थी. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस से कालीचरण मुंडा सांसद बने हैं, तो वह झामुमो के कार्यकर्ताओं, बूथ कमेटी, प्रखंड, पंचायत कमेटी के बदौलत बने हैं.

कांग्रेस के दोनों सीटों पर दावेदारी के सवाल पर झामुमो जिलाध्यक्ष जुबेर अहमद ने बताया कि चुनाव की तैयारी करनी चाहिए लेकिन अखबारों और न्यूज में सुर्खियां बटोरने के लिए सिर्फ नहीं. झामुमो को टिकट मिलेगा या कांग्रेस को टिकट मिलेगा, यह आकलन करने की जरूरत है. सर्वसम्मति से स्वीकृत नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही एजेंडा तय करेंगे, जिसका नेतृत्व भी उनका ही होगा. झारखंड मुक्ति मोर्चा किसी कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी का नेतृत्व स्वीकार नहीं करेगा. इसलिए कांग्रेस को ज्यादा दिनों तक भूल-भुलैया में नहीं रहना चाहिए.

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