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इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था पर सुप्रीम फैसले का कांग्रेस और AAP ने किया स्वागत, कहा- इससे केवल बीजेपी को हुआ फायदा

Congress and AAP welcomed SC decision : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. इस फैसले का आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने स्वागत किया है. दोनों पार्टियों का कहना है कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र ने ये स्कीम बनाई थी.

इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था पर सुप्रीम फैसले का स्वागत
इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था पर सुप्रीम फैसले का स्वागत

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 15, 2024, 8:18 PM IST

नई दिल्ली:इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी है. इस फैसले का आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने स्वागत किया है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लेकर कहा है कि आम आदमी पार्टी इस फैसले का स्वागत करती है. आज के समय में किस पार्टी को कितना चंदा दिया जा रहा है, कौन दे रहा है और पार्टी उसे फंड का क्या उपयोग कर रही है, लोग जानना चाहते हैं. जनता के द्वारा चुनी गई पार्टियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत और सम्मान करते हैं.

वहीं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था को असंवैधानिक करार देने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का कांग्रेस पार्टी स्वागत करती है. 2017 में भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था के शुरुआत से ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी इसका पुरजोर विरोध किया था और यह आशंका भी जताई थी कि इलेक्टोरल बांड खरीदने वाली कंपनियां और सत्ता पक्ष के बीच एक अघोषित रिश्ता स्थापित होगा.

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उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा देश पर इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था को जबरन थोपा गया था. जिसका सीधा फायदा सत्ता में रहते भाजपा को सबसे अधिक मिला और भाजपा देश की सबसे अमीर पार्टी बन गई. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविन्दर सिंह लवली ने कहा कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की भी सराहना करती है जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को कहा है कि किस पार्टी को कितना इलेक्टोरल बांड मिले है, उसे तुरंत प्रभाव से सार्वजनिक किया जा.

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए बहुत जरूरी है कि इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था के अंतर्गत किस राजनीतिक दल को कौन कितना चंदा दे रहा है, मतदाता और जनता को इसको जानने का पूरा अधिकार है. लेकिन भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा यह प्रक्रिया अपारदर्शी रुप में चल रही थी. जिसको सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया.

लवली ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था का लागू करते समय चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और कानून मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा विरोध करने से साफ होता है कि यह व्यवस्था लोकतांत्रिक व्यवस्था की भावनाओं के विपरीत है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे निरस्त करने से ये बात पूरी तरह सिद्ध हो गई कि भाजपा की केंद्र सरकार ने केवल अपनी पार्टी भाजपा को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए ही इसे लागू किया था.

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