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धूल फांक रहा मेवात के औथा का पशु अस्पताल, गांव वाले बोले- बरसों से अस्पताल को खुला नहीं देखा, बाहर से खरीद रहे दवाईयां - VETERINARY HOSPITAL OF OTHA MEWAT

मेवात जिले के औथा गांव में बने पशुपालन विभाग का चिकित्सालय अपनी खस्ताहाल हालत की कहानी को बयां कर रहा है.

VETERINARY HOSPITAL OF OTHA MEWAT
मेवात के ओथा का पशु चिकित्सालय (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 15, 2024, 10:25 PM IST

नूंह: मेवात जिले के औथा गांव में बने पशुपालन विभाग का चिकित्सालय अपनी खस्ताहाल हालत की कहानी को बयां कर रहा है. ना यहां कोई चिकित्सक देखने को मिलता है, ना कोई सफाई व्यवस्था. अस्पताल के कमरे धूल फांक रहे हैं. कागजों में कहने को तो ये पशु अस्पताल है, लेकिन कई वर्षों से यहां ताला लगा है. ग्रामीण कहते हैं कि कभी-कभी यहां डॉक्टर आते हैं, लेकिन खानापूर्ति करके चले जाते हैं.

अस्पताल में गंदगी का अंबार : हमने यहां पाया कि पशु चिकित्सालय में चारों तरफ गंदगी फैली हुई है. कोई प्रॉपर सफाई व्यवस्था भी यहां देखने को नहीं मिली है. किसी भी तरह की कोई सुविधा इस पशु चिकित्सालय में आपको देखने को नहीं मिलेगी. वहीं, पशुपालन पदाधिकारी भी कार्यालय की स्थिति से लाचार है. कार्यालय की स्थिति को देखते हुए वहां डॉक्टर ड्यूटी से अक्सर गायब रहते हैं. गांव के लोगों को इस चिकित्सालय से कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

हर वक्त ताला जड़ा रहता है : गांव के लोगों ने बताया कि वर्षों से हमने इस पशु चिकित्सालय को खुला हुआ नहीं देखा. हर वक्त ताला जड़ा रहता है. हालांकि दवाइयां आती है, लेकिन वो कहां जाती है, इसका कोई पता नहीं. गांव के लोगों को पशुओं के इलाज के लिए कोई दवाई नहीं दी जाती. गांव में पशु बाजार की महंगी दवा पर वे निर्भर हैं.

मेवात के ओथा का पशु चिकित्सालय (Etv Bharat)

महंगी दवाइयां खरीदने को मजबूर पशुपालक : पशुपालकों का कहना है कि पशुओं के नि:शुल्क उपचार व दवाइयों के लिए गांव में सरकारी पशु चिकित्सालय खोला गया था, जहां पशुओं को इलाज के साथ दवाएं फ्री में उपलब्ध कराने का दावा विभाग द्वारा किया जाता है, जबकि हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. चिकित्सालय में दवाओं की कमी से पशुपालकों को बीमार पशुओं के इलाज के लिए परेशान होना पड़ रहा है. मजबूरी में बाजार में मेडिकल स्टोर से महंगी दवा लेकर पशुओं का इलाज करना पड़ रहा है.

सर्दी में बीमार पड़े रहे पशु : वहीं, सर्दी का मौसम चल रहा है. ऐसे में अधिकांश गाय-भैंस निमोनिया से ग्रस्त होने के साथ ही पेट में कीड़े आदि की समस्याओं से ग्रसित हैं. बीमार पशुओं का इलाज कराना विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है. इधर मजबूरी में दवाएं नहीं मिलने से पशुपालक बीमार पशुओं का झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवाते हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि प्राइवेट पशु डॉक्टर अपनी बाइक में डिब्बा लगाकर बैग में दवाइयां भरकर गांव में घूम - घूम कर इलाज करते हैं, जो पशुपालकों से मनमर्जी पैसे वसूलते हैं. जब इस बारे में एडिशनल इंचार्ज इकराम कटारिया से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में दवाईयां मौजूद नहीं है, जैसे ही दवा आएगी तो पशुओं के इलाज के लिए दे दी जाएगी.

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