गोरखपुर:गोरखपुर की खास पहचान में शामिल है टेराकोटा शिल्प उत्पाद. सात साल पहले टेराकोटा को ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में प्रदेश सरकार द्वारा शामिल किए जाने के बाद से ही इसका कारोबार दिनों दिन बढ़ रहा है. अब कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के जरिये टेराकोटा कारोबार और परवान चढ़ेगा. जिला उद्योग केंद्र की तरफ से दो सीएफसी पहले से प्रकिया में हैं और अब सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक) ने भी इसके लिए पहल की है. सिडबी की तरफ से गुलरिहा के भरवलिया में सीएफसी खोले जाने पर काम शुरू हो चुका है. इससे टेराकोटा कारीगरों को काफी सहूलियत मिलेगी. जिला उद्योग केंद्र की तरफ से पादरी बाजार और औरंगाबाद में सीएफसी खोलने की प्रक्रिया जारी है. सिडबी के इस फैसिलिटी सेंटर के इस माह के अंत तक चालू हो जाने की उम्मीद है. यहां शिल्पकारों से हर तरह के काम के लिए सिंगल प्वाइंट ऑफ कॉन्टैक्ट होगा. सेफ सोसायटी के चेयरमैन वैभव शर्मा कहते हैं कि टेराकोटा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो पहल की है, उसी से प्रेरित होकर सीएफसी बनाई जा रही है. इस सीएफसी पर पर इलेक्ट्रिक भट्ठी, कारीगरों को प्रशिक्षण और तैयार माल को बाजार उपलब्ध कराने की सुविधा मिलेगी.
नई तकनीक से तैयार होंगे उत्पाद:सिडबी लखनऊ रीजन के जनरल मैनेजर मनीष सिन्हा का कहना है कि टेराकोटा की सीएफसी खुलने से नए तरीके की ट्रेनिंग, नई तकनीक से उत्पाद को तैयार करने में सहूलियत होगी. यही नहीं, कम लागत और कम समय में ज्यादा माल तैयार हो सकेगा. मिट्टी के बर्तन या अन्य उत्पाद को पुराने तरीके से पकाया जाता है तो तकरीबन 18 घंटे से ज्यादा समय लगता है. यदि इसे सीएफसी के टनलभट्ठी में पकाया जाता है तो एक ट्राली टेराकोटा तीस मिनट में पककर तैयार हो जाता है. बताया कि सीएफसी से शिल्पकारों को कारोबारी लाभ होगा तो इस क्षेत्र में नए लोग भी ट्रेनिंग लेकर कारोबार से जुड़ सकेंगे. मनीष सिन्हा ने बताया कि सीएफसी का संचालन दो साल तक सिडबी की तरफ से किया जाएगा. इसके बाद एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) बनाकर इसे लाभार्थी शिल्पकारों को हैंडओवर कर दिया जाएगा.