झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

सीएम हेमंत ने नीति आयोग की बैठक का किया बहिष्कार, राजनीति शुरु, जानिए क्या हो सकता है असर - Hemant Soren boycotted Niti Aayog

CM Hemant Soren boycotted Niti Aayog Meeting. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. सीएम के इस फैसले के बाद प्रदेश का राजनीतिक पारा चढ़ गया है. एक तरफ जहां झामुमो इस फैसले को सही बताते हुए अपने तर्क दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि सीएम ने सीएम ने अपरिपक्वता दिखाई है.

HEMANT SOREN BOYCOTTED NITI AAYOG
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 27, 2024, 3:32 PM IST

Updated : Jul 27, 2024, 3:51 PM IST

रांची:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है. 26 जुलाई की देर शाम तक इस बात की संभावना जतायी जा रही थी कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में 27 जुलाई को दिल्ली में होने वाली 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सीएम हेमंत शामिल हो सकते हैं. इसकी वजह भी थी क्योंकि सीएम ने पिछले दिनों पीएम मोदी से मुलाकात की थी. फिर भी उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया. सीएम के इस फैसले पर झामुमो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

बीजेपी और झामुमो प्रवक्ता का बयान (ईटीवी भारत)

अब सवाल है कि नीति आयोग की बैठक क्यों होती है. आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि राज्यों के सहयोग के बिना राष्ट्रीय स्तर पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल हासिल नहीं किया जा सकता. बैठक के दौरान राज्य स्तर पर डेटा एक्सचेंज होता है. जरूरतों का पता चल पाता है. इस आधार पर नीति आयोग लॉग टर्म प्लान और प्रोग्राम तैयार करता है. इससे डेवलपमेंट की रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलती है. जहां तक इंडिया ब्लॉक के मुख्यमंत्रियों के बैठक में शामिल नहीं होने की बात है तो यह एक राजनीतिक मसला है.

बैठक में शामिल होने का नहीं था कोई औचित्य- झामुमो

झामुमो ने स्पष्ट कर दिया इस बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य ही नहीं था. प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों पीएम मोदी से मुलाकात की थी. वह चाहते थे कि केंद्रीय बजट से पहले नीति आयोग की बैठक हो. उसमें राज्य के हित की बात हो ताकि उसी आधार पर बजट में हिस्सेदारी मिल सके. लेकिन केंद्र सरकार ने दो राज्यों को छोड़कर खासकर गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार कर दिया. यहां तक झारखंड का जो पैसा केंद्र के पास है, उसे देने का भी कोई प्रावधान सामने नहीं आया. इसलिए सीएम हेमंत का बैठक में शामिल नहीं होने के फैसला तर्क संगत है. झामुमो प्रवक्ता ने यहां तक कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों की अनदेखी की वजह से इंडिया गठबंधन वाले राज्यों ने पहले ही बहिष्कार की घोषणा कर दी थी.

सीएम ने दिखाई अपरिपक्वता और अदूरदर्शिता- भाजपा

वहीं प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि सीएम का यह फैसला बताता है कि वह परिपक्व और अदूरदर्शी हैं. अगर उनके पास राज्य को लेकर कोई मिशन या विजन होता, तो बैठक में जरूर शामिल होते. क्योंकि नीति आयोग में ही पूरे देश के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार होता है. लेकिन सीएम पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. उन्हें लगता है कि नीति आयोग में जाने से केंद्र सरकार और मजबूत हो जाएगी. विकसित भारत का संकल्प पूरा हो जाएगा. इसका क्रेडिट केंद्र सरकार को मिलेगा. लिहाजा, सीएम का यह फैसला दुखदायी के साथ-साथ चिंताजनक भी है.

सीएम ने पहले ही बहिष्कार की ओर कर दिया था इशारा

24 जुलाई को कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय बजट पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था. उन्होंने इसे पॉलिटिकल बजट कहा था. सीएम ने कहा था केंद्र सरकार को झारखंड पर विशेष ध्यान देने की जरुरत थी. झारखंड जितना देता है, उसकी तुलना में क्या मिला, क्या खोया, क्या पाया, यह सभी के सामने है. झामुमो ने भी यह कहते हुए आपत्ति जतायी थी कि पड़ोसी राज्य बिहार को इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए 58.9 हजार करोड़ देने की घोषणा हुई है जबकि झारखंड के लिहाज से प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान और कई पुरानी रेल योजनाओं का विस्तार का जिक्र हुआ है. यह बेहद चिंताजनक है.

नीति आयोग की 8वीं बैठक में शामिल हुए थे सीएम हेमंत

नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल की 8वीं बैठक 27 मई 2023 को हुई थी. उस बैठक में सीएम हेमंत सोरेन शामिल हुए थे. गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद 12 जुलाई 2023 को नीति आयोग की टीम रांची आई थी. तब सीएम ने बैठक की जानकारी साझा की थी. उन्होंने कोयले पर रॉयल्टी बढ़ाने और एफसीआई से ग्रीन कार्ड धारकों को राशन मुहैया कराने की मांग रखी थी. उन्होंने कहा था कि जमीन अधिग्रहण के बदले कोयला कंपनियों से राज्य सरकार और रैयतों को सिर्फ 2,532 करोड़ मिला है, जबकि करीब 80 हज़ार करोड़ रुपए मुआवजा मिलना चाहिए था. उस बैठक में कोयला, जल शक्ति, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग, ऊर्जा, महिला एवं बाल कल्याण और जनजातीय मंत्रालय से जुड़े मामलों पर चर्चा हुई थी.

क्यों होती है नीति आयोग की बैठक

नीति आयोग का गठन 1 जनवरी 2015 को हुआ था. इसका फुल फॉर्म है- "नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया". 16 फरवरी 2015 को इसे अधिसूचना के जरिए प्रभावी बनाया गया था. इसके शासी परिषद में सभी राज्यों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के सीएम और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होते हैं. गवर्निंग काउंसिल का काम है कि विकास की कहानी को आकार देने में राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और रणनीतियों का साझा दृष्टिकोण विकसित करना. 8वीं बैठक में 19 राज्यों और 6 केंद्र शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों ने भाग लिया था.

वर्तमान बैठक का एजेंडा

27 जुलाई को आहूत गवर्निंग काउंसिल की 9वीं बैठक का विषय- विकसित भारत@2024 रखा गया. लेकिन इंडिया ब्लॉक में शामिल राज्यों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया. इसकी वजह रही केंद्रीय बजट में गैर भाजपा शासित राज्यों की अनदेखी. हालांकि, इंडिया ब्लॉक का हिस्सा होने के बावजूद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी बैठक में पहुंची लेकिन बोलने का पूरा मौका नहीं देने का हवाला देते हुए बैठक को बीच में ही छोड़कर निकल गईं.

ये भी पढ़ें:

सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम नरेंद्र मोदी से की मुलाकात, तस्वीर जारी होते ही कयासों का बाजार गर्म - CM Hemant Met PM Modi

सीएम हेमंत सोरेन लौटे रांची, पीएम मोदी से मुलाकात पर कह दी बड़ी बात - CM Hemant Soren

Last Updated : Jul 27, 2024, 3:51 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details