रांची:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है. 26 जुलाई की देर शाम तक इस बात की संभावना जतायी जा रही थी कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में 27 जुलाई को दिल्ली में होने वाली 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सीएम हेमंत शामिल हो सकते हैं. इसकी वजह भी थी क्योंकि सीएम ने पिछले दिनों पीएम मोदी से मुलाकात की थी. फिर भी उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया. सीएम के इस फैसले पर झामुमो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
अब सवाल है कि नीति आयोग की बैठक क्यों होती है. आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि राज्यों के सहयोग के बिना राष्ट्रीय स्तर पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल हासिल नहीं किया जा सकता. बैठक के दौरान राज्य स्तर पर डेटा एक्सचेंज होता है. जरूरतों का पता चल पाता है. इस आधार पर नीति आयोग लॉग टर्म प्लान और प्रोग्राम तैयार करता है. इससे डेवलपमेंट की रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलती है. जहां तक इंडिया ब्लॉक के मुख्यमंत्रियों के बैठक में शामिल नहीं होने की बात है तो यह एक राजनीतिक मसला है.
बैठक में शामिल होने का नहीं था कोई औचित्य- झामुमो
झामुमो ने स्पष्ट कर दिया इस बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य ही नहीं था. प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों पीएम मोदी से मुलाकात की थी. वह चाहते थे कि केंद्रीय बजट से पहले नीति आयोग की बैठक हो. उसमें राज्य के हित की बात हो ताकि उसी आधार पर बजट में हिस्सेदारी मिल सके. लेकिन केंद्र सरकार ने दो राज्यों को छोड़कर खासकर गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार कर दिया. यहां तक झारखंड का जो पैसा केंद्र के पास है, उसे देने का भी कोई प्रावधान सामने नहीं आया. इसलिए सीएम हेमंत का बैठक में शामिल नहीं होने के फैसला तर्क संगत है. झामुमो प्रवक्ता ने यहां तक कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों की अनदेखी की वजह से इंडिया गठबंधन वाले राज्यों ने पहले ही बहिष्कार की घोषणा कर दी थी.
सीएम ने दिखाई अपरिपक्वता और अदूरदर्शिता- भाजपा
वहीं प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि सीएम का यह फैसला बताता है कि वह परिपक्व और अदूरदर्शी हैं. अगर उनके पास राज्य को लेकर कोई मिशन या विजन होता, तो बैठक में जरूर शामिल होते. क्योंकि नीति आयोग में ही पूरे देश के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार होता है. लेकिन सीएम पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. उन्हें लगता है कि नीति आयोग में जाने से केंद्र सरकार और मजबूत हो जाएगी. विकसित भारत का संकल्प पूरा हो जाएगा. इसका क्रेडिट केंद्र सरकार को मिलेगा. लिहाजा, सीएम का यह फैसला दुखदायी के साथ-साथ चिंताजनक भी है.
सीएम ने पहले ही बहिष्कार की ओर कर दिया था इशारा
24 जुलाई को कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय बजट पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था. उन्होंने इसे पॉलिटिकल बजट कहा था. सीएम ने कहा था केंद्र सरकार को झारखंड पर विशेष ध्यान देने की जरुरत थी. झारखंड जितना देता है, उसकी तुलना में क्या मिला, क्या खोया, क्या पाया, यह सभी के सामने है. झामुमो ने भी यह कहते हुए आपत्ति जतायी थी कि पड़ोसी राज्य बिहार को इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए 58.9 हजार करोड़ देने की घोषणा हुई है जबकि झारखंड के लिहाज से प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान और कई पुरानी रेल योजनाओं का विस्तार का जिक्र हुआ है. यह बेहद चिंताजनक है.