जयपुर.पिछली सरकार ने बिना सुविधाओं के अंधाधुंध कॉलेज खोल, लेकिन अब हमारी सरकार सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक-कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरेगी. ये बातें राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शुक्रवार को अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के 62वें प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कही. साथ ही सीएम ने कहा कि कॉलेज शिक्षा विभाग और 4 विश्वविद्यालयों में एसीपी (एनुअल करियर प्रोग्रेस) और सीएएस (करियर एडवांसमेंट स्कीम) के लाभ से संबंधित प्रकरणों को तुरंत निस्तारित किया जाएगा. उन्होंने आश्वस्त किया कि भविष्य में हर साल एसीपी और सीएएस लाभ के लिए प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी.
जयपुर में शुक्रवार को अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के 62वें प्रांतीय अधिवेशन हुआ. इस अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर कार्य करते हैं. उनके विचारों का समाज पर गहरा प्रभाव होता है. शिक्षक भावी पीढ़ी को सही दिशा देकर उनका चरित्र निर्माण करते हैं. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए लगातार कार्य कर रही है. प्रदेशवासियों को शिक्षा का बेहतर वातावरण देने के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने जल जीवन मिशन, बिजली खरीद, बिना किसी संसाधनों के महाविद्यालयों खोलने जैसे दिशाहीन गलत फैसले लिए. जल जीवन मिशन में जहां पानी के स्त्रोतों के बिना ही टंकी बना दी गई. वहीं बिजली खरीद में हजारों करोड़ का घाटा किया गया. महाविद्यालय खोलने के संबंध में भी बिना किसी मूलभूत सुविधाओं के अंधाधुंध महाविद्यालय राजसेस के तहत खोल दिए गए. जिनमें कोई स्थाई शिक्षक नहीं लगाया गया. उन्होंने कहा कि अब उनकी सरकार राजसेस के अंतर्गत खोले गए इन कॉलेजों की समीक्षा करेगी. इसके लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया है. ये कमेटी इन सभी कॉलेजों की फिजिबिलिटी और औचित्य का परीक्षण कर आगे कार्रवाई करेगी. साथ ही महाविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द भरा जाएगा.
इस दौरान सीएम ने वर्ष 2014 के बाद से उच्च शिक्षण संस्थानों में हुई तेजी से बढ़ोतरी की बात कहते हुए मोदी सरकार की 10 साल की उपलब्धियां को गिनाया. वहीं कार्यक्रम में मौजूद रहे उप मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि शिक्षक युवाओं में ज्ञान, कला कौशल में वृद्धि करते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है. नई शिक्षा नीति में कौशलपरक रोजगार को बढ़ावा देने वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और भावी चुनौतियों के अनुरूप प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की सभी समस्याओं के प्रति राज्य सरकार संवेदनशील है तथा शिक्षकों के हित में कार्य किया जा रहा है.