नई दिल्ली:दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी शुक्रवार को एक बार फिर उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ मंच पर दिखीं. मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल दोनों दिल्ली सरकार के नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. इस दौरान स्नातक छात्रों को डिग्री देकर सम्मानित किया गया. सीएम आतिशी ने इस मौके पर छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि हमारे युवा देश से बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए नौकरियां ढूंढ़ने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनें.
आतिशी ने कहा कि जब हमारे यूनिवर्सिटीज से स्टूडेंट्स नौकरी ढूंढने के बजाय एंटरप्रेन्योर बनकर निकलेंगे तो भारत दुनिया का नंबर 1 देश ज़रूर बनेगा. इस साल यूनिवर्सिटी द्वारा 2244 डिग्रियां सौंपी गई है. इनमें 5 पीएचडी डिग्री, 72 एमबीए डिग्री, 133 एमएससी डिग्री, 125 एमटेक डिग्री, 110 बीबीए डिग्री, 1725 बीटेक डिग्री सहित अन्य डिग्री शामिल है.
आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार के सभी यूनिवर्सिटीज में भी महीनेभर में बिज़नेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम की शुरुआत होगी. बिज़नेस ब्लास्टर्स से दिल्ली सरकार स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे एंटरप्रेन्योर बनें और लोगों को नौकरियां दे रहे हैं. अब ये प्रोग्राम हमारी यूनिवर्सिटीज में भी स्टूडेंट्स को एंटरप्रेन्योर बनने का मौका देगा. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि कॉन्वोकेशन स्टूडेंट्स को अपने पिछले 4 सालों को याद करने का दिन तो है. साथ ही आने वाले समय में वो क्या करने वाले है, ये भी सोचने का दिन है.
दिल्ली सीएम ने कहा कि आज हमारे देश में कई समस्याएं है. लेकिन एक समस्या जो युवाओं को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है वो बेरोजगारी की समस्या है. ये बहुत ख़ुशी कि बात है कि इस साल एनएसयूटी के 81% ग्रेजुएट्स की प्लेसमेंट हुई है और उन्हें लाखों के पैकेज मिले. हमारी यूनिवर्सिटीज को उससे ज़्यादा ये सोचने की ज़रूरत है.
आतिशी ने कहा कि कुछ समय पहले की एक रिसर्च के अनुसार, 2030 तक भारत में 90 मिलियन नॉन-एग्रीकल्चर नौकरियों की जरूरत है. लेकिन हमारा पूरा एजुकेशन छोटी उम्र से ही स्टूडेंट्स को इस बात के लिए तैयार करता है कि अच्छे से पढ़ाई करों ताकि अच्छी नौकरी मिल सके. उन्होंने कहा कि, कई युवा सोचते है कि, घर में किसी ने बिज़नेस नहीं किया तो हम कैसे करेंगे? अगर नौकरी नहीं की तो घर कैसे चलेगा? इन सवालों का जबाब दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने दिया है.