नई दिल्ली :दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सचिवालय में सोमवार को प्रेसवार्ता की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पराली जलाने की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है. प्रदूषण के कहर से दिल्ली एनसीआर के लोग कराह रहे हैं, जहां पंजाब में बीते वर्षों की तुलना में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं. वहीं, भाजपा शासित प्रदेशों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं. मुख्यमंत्री आतिशी ने भाजपा पर नार्थ इंडिया को मेडिकल इमरजेंसी में धकेलने का आरोप लगाया है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली के लोग प्रदूषण से परेशान हैं. दिल्ली के लोग सांस नहीं ले पा रहे हैं. बुजुर्गों और बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोग हॉस्पिटल में एडमिट हो रहे हैं. बच्चों को इन्हेलर से स्टेरॉइड देना पड़ रहा है, क्योंकि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में पराली जलाई जा रही है. केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है. आज पूरे नॉर्थ इंडिया को मेडिकल इमरजेंसी में धकेल दिया गया है.
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में आयी है कमी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आंकड़े देखें तो आज देश भर में प्रदूषण बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि उत्तर प्रदेश हरियाणा पंजाब राजस्थान समेत अन्य राज्यों में पराली जलाई जा रही है. पंजाब ने पराली जलाने की घटनाओं को काम किया है.
पंजाब में वर्ष 2021 में 71300 पराली जलाने की घटनाएं हुई थी. यह घटनाएं कम होकर वर्ष 2023 में 36650 हो गया. इस साल पराली जलाने की 90 प्रतिशत घटनाएं हो चुकी हैं, मात्र 8404 घटनाएं हुई हैं. उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की 60 प्रतिशत घटनाएं कम हुई हैं. राजस्थान में 2020 में सिर्फ 430 पराली जलाने के मामले हुए थे 2024 में 1926 पहुंच रहा है. आज देश में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले मध्य प्रदेश में सामने आ रहे हैं. 15 सितंबर से 17 नवंबर तक 9600 पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं. यानी कि रोज 700 पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं.
सरकार से पूछे सवाल :आतिशी ने कहा, "मैं केंद्र सरकार से जानना चाहती हूं कि बीते 6 साल में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए क्या किया? पंजाब पराली जलाने की घटनाओं को कम कर सकता है तो अन्य राज्य ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं, लेकिन उत्तर भारत को मेडिकल इमरजेंसी में धकेल दिया गया है. नॉर्थ इंडिया के अस्पतालों में जाइए तो देखेंगे कि बुजुर्ग और छोटे बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं और उन्हें सांस लेने में समस्या आ रही है, क्योंकि केंद्र सरकार पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कदम नहीं उठा रही है. पराली का धुआं ये नहीं देखता कि कहां पर किस राज्य की सीमा है और वहां पर किसकी सरकार है यह हर व्यक्ति के लिए समान नुकसानदायक है. मैं भाजपा और केंद्र सरकार से अपील करती हूं कि राजनीति करना बंद करें सामने आए कदम उठाए."
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