मध्य प्रदेश

madhya pradesh

मध्य प्रदेश में होगी मोती की खेती, चमक जाएगी किसानों की किस्मत, घर में भी ऐसे करें फार्मिंग - Chhindwara Pearl Farming

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 6, 2024, 10:41 PM IST

मध्य प्रदेश के किसान अब मोती की खेती करेंगे. कम जमीन में भी किसान मोती की खेती करके अपनी किस्मत चमका सकते हैं. मोती की खेती के लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला को चुना गया है. यहां कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को मोती की खेती की ट्रेनिंग दी जा रही है.

CHHINDWARA PEARL FARMING
मध्य प्रदेश में होगी मोती की खेती (Getty Image)

CHHINDWARA PEARL FARMING:अनाज सब्जी की फसल से हटकर अब मध्य प्रदेश के किसान मोती की खेती करके अपनी किस्मत चमका सकते हैं. कम जमीन में तकनीकी रूप से मोती की खेती की जा सकती है. इसके लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले को मॉडल के रूप में चुना गया है. जहां पर मोती की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

छिंदवाड़ा में होगी मोती की खेती (ETV Bharat)

कृषि विज्ञान केंद्र में हो रही मोती की खेती

मध्य प्रदेश के किसान खेतों में फसल के साथ-साथ मोती की खेती करके अपनी किस्मत चमका सकते हैं. मोती की खेती किसान कैसे कर सकता है और कैसे मालामाल हो सकता है. इसके लिए छिंदवाड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है. छिंदवाड़ा, सिवनी और जबलपुर सहित दूसरे जिलों के किसान मोती की खेती करने के गुर सीख रहे हैं. एमपी में छिंदवाड़ा को मोती की खेती के लिए चुना गया है. जिसके लिए 2019 में कृषि विज्ञान केंद्र चंदनगांव में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था.

मोती की खेती की ट्रेनिंग (ETV Bharat)

कृषि विज्ञान केंद्र की प्रोग्राम असिस्टेंट चंचल भार्गव ने बताया कि 'उन्होंने मोती की खेती करने के लिए जयपुर से इसकी ट्रेनिंग ली है कि किस तरीके से मोती की खेती की जाएगी. जिसके लिए वे कृषि विज्ञान केंद्र में पहले खुद इसका उत्पादन कर रही हैं. फिर किसानों को इसके लिए तैयार किया जाएगा.'

मोती की खेती से किसान होंगे मालामाल (ETV Bharat)

किसानों को दी जा रही ट्रेनिंग

कृषि विज्ञान केंद्र चंदनगांव छिंदवाड़ा में विकसित भारत के अंतर्गत संचालित मोती पालन परियोजना का जबलपुर संभाग कमिश्नर अभय वर्मा ने प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रशिक्षण का जायजा लिया. कृषि विज्ञान केन्द्र में 40 प्रतिभागी एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अन्तर्गत मोती की खेती के लिए चुने गए स्व सहायता समूह ग्राम पालाचौराई जुन्नारदेव की महिलाओं को प्रेरित कर विभागीय सहयोग के लिए आश्वस्त किया गया. ट्रेनिंग में ताजे पानी में मोती की खेती विषय पर केंद्र द्वारा हिन्दी भाषा में किसानों को जानकारी देने के लिए दिग्दर्शिका का विमोचन भी किया गया.

खेतों में होगी तालाब की जरूरत,ऐसे करें शुरुआत

मोती की खेती करने के लिए किसानों को खेतों में तालाब की जरूरत होती है. तालाब का आकार 50 फीट चौड़ा, 80 फीट लंबा और 12 फीट गहरा होना चाहिए. जिसमें मोतियों के बीज डाले जाते हैं. फिर 15 से 18 महीने में मोती बनकर तैयार हो जाते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र की प्रोग्राम असिस्टेंट चंचल भार्गव ने बताया कि 'मोती की खेती के लिए सीप को नदियों से इकठ्ठा करना पड़ेगा या फिर इसे बाजार से खरीद सकते हैं. इसके बाद हर सीप में एक छोटी सी शल्य क्रिया के बाद उसके भीतर चार से 6 मिलीमीटर डायमीटर वाले साधारण गोल या डिजाइनर वीड जैसे गणेश बुद्ध पुष्प आकृति डाली जाती है, फिर सीप को बंद किया जाता है. इन सीपों को नायलॉन बैग में रखकर बांस के सहारे लटका दिया जाता है. तालाब में 1 मीटर की गहराई पर फिर से छोड़ा जाता है. प्रति हेक्टेयर 20 हजार से 30 हजार सीपों में मोती का पालन किया जा सकता है.

छिंदवाड़ा में किसान करेंगे मोती की खेती (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

सोयाबीन को सोने नहीं दे रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, फसल की सेहत बिगड़ी तो किसानों ने लगाई गुहार

ये जंगली सब्जी बना सकती है लखपति, बाजार में पड़ोरा की हाई डिमांड, पोषक तत्वों से भी भरपूर

घरों में भी की जा सकती है मोती की खेती

प्रोग्राम असिस्टेंट चंचल भार्गव ने बतायाकि 'जिस तरह से खेतों में बड़े रूप में मोती की खेती की जाती है. वैसे ही अब लोग इसे घरों में भी करने लगे हैं. घरों में कांक्रीट के टैंक बनाकर. इसे कम मात्रा में डालकर जो प्रक्रिया बताई गई है. वैसा उत्पादन कर सकते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details