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बूंद-बूंद पानी के लिए तरसे पातालकोट के आदिवासी, बर्तन लेकर कई किलोमीटर का करतें हैं सफर - Chhindwara Patalkot Water Problem

बूंद-बूंद पानी की अहमियत क्या होती है इसे जानने के लिए एक बार छिंदवाड़ा के पातालकोट चले जाइए. आदिवासियों को कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद बमुश्किल एक दो बर्तन पीने के पानी का जुगाड़ हो पाता है. बच्चों के साथ महिलाएं सुबह से पानी के लिए जंगलों की खाक छानती हैं तब जाकर कहीं कुछ बर्तन पानी मिलता है और फिर वापस घर पहुंचती हैं.

PATALKOT WATER PROBLEM
पानी को तरसे पातालकोट के आदिवासी

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 30, 2024, 6:00 PM IST

बूंद-बूंद पानी के लिए तरसे पातालकोट के आदिवासी

छिंदवाड़ा। नाम पातालकोट जरूर है लेकिन इस पाताल में पानी नहीं है. पातालकोट का अधिकांश इलाका पहाड़ी और जंगलों से भरपूर है. इस गांव में पानी की पाइपलाइन बिछी जरूर है लेकिन वह शोपीस बन चुकी हैं. हैंडपंप भी हैं लेकिन सभी खराब पड़े हैं. आदिवासियों ने कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को चेताया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं है. अब इन आदिवासियों ने एक बार फिर कलेक्टर से गुहार लगाई है.

पानी को तरसे पातालकोट के आदिवासी

दुनिया भर में अपनी पहचान कायम करने वाले पातालकोट में भी पानी की समस्या है. यहां के आदिवासी 2 से 4 किलोमीटर का सफर हर दिन पीने के पानी के लिए करते हैं. घर में पीने के पानी का जुगाड़ हो सके इसके लिए घर की महिलाओं से लेकर छोटे-छोटे बच्चे अपने सिर पर बर्तन लेकर मीलों का सफर करते हैं तब जाकर मुश्किल से पीने के पानी का जुगाड़ हो पता है. पातालकोट का अधिकतर इलाका पहाड़ी और जंगलों से भरा हुआ है इसलिए इन उबड़ खाबड़ रास्तों से ही होकर लोगों को पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है.

सुविधाएं तो हैं लेकिन पानी नहीं

आदिवासियों ने बताया कि उनके गांव में हैंडपंप तो लगाए गए हैं लेकिन किसी के पाइप फटे हैं तो किसी में पानी नहीं आता है इतना ही नहीं ग्राम पंचायत ने पाइप लाइन भी बिछाई है लेकिन पानी नहीं आता है. गांव के ही आसपास के किसानों के खेत में कुएं हैं जहां कुछ पानी है वहां से ही पीने के पानी का जुगाड़ हो पाता है लेकिन उसके लिए भी मीलों दूर तक जाना पड़ता है.

कई बार की शिकायत मिला सिर्फ आश्वासन

पातालकोट में पानी की समस्या को लेकर ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों सहित नेताओं से कर चुके हैं. 5 साल में नेता उनके गांव में आते हैं और चुनाव के दौरान कई बड़े-बड़े वादे करते हैं. लगता है कि अब उनके घरों तक पानी पहुंच जाएगा लेकिन यह वादा कभी पूरा नहीं हुआ. आज तक किसी ने सुध नहीं ली.

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पानी के लिए बच्चों की जद्दोजहद

जिन मासूमों के हाथ में किताब या खिलौने होना चाहिए उस उम्र में पीने के पानी के लिए उन्हें जद्दोजहद करना पड़ रही है. घर में पीने के पानी का जुगाड़ हो सके इसके लिए बच्चे भी जंगलों में पानी की तलाश में साथ जाते हैं. परिजनों का कहना है कि घर में पीने के पानी की व्यवस्था हो सके इसके लिए बच्चे भी पानी की तलाश में जाते हैं तो घर के बड़े लोग घर का गुजारा हो सके इसके लिए काम की तलाश में निकलते हैं.

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