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यहां दिवाली की रात गायों को दिया जाता है स्पेशल इनविटेशन, दूसरे दिन होता है खेला - CHHINDWARA COW PLAY FESTIVAL

छिंदवाड़ा में लोगों के साथ गायों के लिए भी दीपावली का त्योहार खास होता है. यहां अहीर नाच गाकर गायों को निमंत्रण देते हैं.

INVITATION TO COWS ON DIWALI
दिवाली की रात गायों को दिया जाता है स्पेशल इनविटेशन (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 29, 2024, 10:41 AM IST

छिंदवाड़ा: इन दिनों लोग दीपावली की तैयारियों में जुटे हुए हैं. दिवाली की रात में मां लक्ष्मी की पूजा के बाद हर तरफ पटाखों का शोर शराबा होता है, लेकिन छिंदवाड़ा में हर घर में गायों को चराने वाले अहीर ढोल नगाड़ों के साथ गायों को न्यौता देने पहुंचते हैं. आखिर गायों को निमंत्रण क्यों दिया जाता है. यह परंपरा क्या है. जानिए इस खबर में...

दिवाली की रात में गायों को दिया जाता है निमंत्रण

छिंदवाड़ा में दिवाली सिर्फ इंसानों के लिए ही खास त्योहार नहीं है, बल्कि यह गायों के लिए भी खास होता है. क्योंकि दिवाली के दूसरे दिन को गाय खेलना का दिन कहा जाता है. इसके लिए दिवाली की रात को ही अहीर तबेला या गौशाला में ढोल नगाड़ों के साथ पहुंचते हैं और गायों को दूसरे दिन के लिए निमंत्रण देते हैं. इसे गाय जागना भी कहते हैं. इस दौरान अहीर गायों को परंपरा के अनुसार देशी भजन गाकर और नाचकर न्योता देते हैं.

दिवाली की रात में गायों को इस तरह दिया जाता है निमंत्रण (ETV Bharat)

गायों को खिलाए जाते हैं स्पेशल पकवान

दिवाली के दूसरे दिन गायों को किसान नहला धुलाकर रंग-बिरंगे पोशाक या फिर कलर लगाकर तैयार करते हैं. इस दिन गायों के लिए घर में खिचड़ी से लेकर कई तरह के पकवान बनाकर उनकी पूजा की जाती है. इसके बाद गांव के एक बड़े मैदान में गायों को इकट्ठा किया जाता है, जहां पर अहीर बछड़ों के साथ गायों को खेल खिलाते हैं. इसे क्षेत्रीय लोग गाय खेलना कहते हैं.

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गोबर से बनाए गए पर्वत की होती है पूजा

पंडित शिव कुमार शर्मा शास्त्री ने बताया, ''दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा भी की जाती है. इसके पीछे पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की लोगों के प्रति बढ़ती लोकप्रियता और भक्ति को देखते हुए इंद्रदेव नाराज हो गए थे और उन्होंने बारिश से कोहराम मचा दिया था. हर तरफ बाढ़ का सैलाब था. इससे लोगों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली से उठा लिया था, जिसके नीचे उनकी सभी गायें और लोग सुरक्षित बच गए थे. इस तरह इंद्र का घमंड चकनाचूर हो गया था. इसी की याद में इस दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से पर्वत बनाकर उसमें पेड़-पौधे और अनाज लगाकर पूजा की जाती है.''

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