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छत्तीसगढ़ की राजनीति में वंशजों का वर्चस्व, कितने हुए पास कितने हुए फेल - Sons of giants in politics

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 11, 2024, 9:09 PM IST

छत्तीसगढ़ की राजनीति में दिग्गज नेताओं के बेटों ने अपनी विरासत की परंपरा को आगे बढ़ाया. विरासत की इस परंपरा में कई नेताओं के बेटे सफल हुए तो कुछ लोगों ने दूरी भी बनाई. कुछ बड़े नेताओं के बेटे अभी भी सियासत के मैदान में भाग्य आजमाने को तैयार बैठे हैं. उनको मौका कब मिलता है ये उनकी पार्टी तय करेगी.

SONS OF GIANTS IN POLITICS
पिता से मिली सियासी विरासत संभाल रहे बेटे (ETV Bharat)

रायपुर:छत्तीसगढ़ की राजनीति में नेताओं के वंशजों पर जनता की शुरु से नजर रही है. छत्तीसगढ़ में कई ऐसे नेता हैं जिनके बेटे आज राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. कई दिग्गजों के बेटे आज राजनीति में सफल हैं तो कईयों ने सियासी मैदान से अपनी दूरी बना ली है. पीढ़ी परिवर्तन की ये प्रक्रिया करीब दो दशकों से जारी है. छत्तीसगढ़ की राजनीति में जिन बेटों ने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाया उसमें कई नाम शामिल हैं.

पिता से मिली सियासी विरासत संभाल रहे बेटे (ETV Bharat)

पिता से मिली सियासी विरासत संभाल रहे बेटे: बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों ही दलों दिग्गज नेताओं के बेटे आज छत्तीसगढ़ की राजनीति में अपना अहम स्थान रखते हैं. बात चाहे रमन सिंह के बेटे की हो या फिर नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल की. ज्यादातर नेताओं के बेटे आज सियासत के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं. कुछ नाम ऐसे भी रहे जिन्होने सिसायत के क्षेत्र से अपनी दूरी बना ली.

मोतीलाल वोरा के बेटे अरुण वोरा: कांग्रेस में एक समय दो बड़े नाम होते थे मोतीलाल वोरा और पंडित श्यामाचरण शुक्ल. मोतीलाल वोरा के बेटे अरुण वोरा, उन्होंने एक अच्छी लंबी पारी तो खेली लेकिन उनकी खुशकिस्मती देखिए की तीन बार लगातार चुनाव हारने के बाद भी उन्हें चौथी बार टिकट दिया गया. चौथी बार में वो चुनाव जीते. साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में हार गए.

पं.श्यामा चरण शुक्ल के बेटे अमितेश शुक्ल और फिर उनके बेटे भवानी शुक्ला: वहीं अमितेश शुक्लपंडित श्यामा चरण शुक्ल के बाद कि विरासत को वो बढ़ाते हुए नजर आए. साल 2023 के विधानसभा चुनाव लेकिन वो राजिम से हार गए. अब वहां से अमितेश शुक्ल के बेटे भवानी शुक्ल का नाम राजनीति में आने लगा और अब वो सियासत के मैदान में स्थापित हो गए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में यह चर्चा थी कि भवानी शुक्ला को महासमुंद लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट मिल सकता है. पर पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया.


नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल: नंदकुमार पटेल कांग्रेस के दिग्गज नेता थे, प्रदेश अध्यक्ष रहे. झीरम कांड में उनकी हत्या हो गई. पिता की विरासत को दीपक पटेल संभालते लेकिन उनकी भी मौत झीरम हमले में हो गई. पिता और भाई की मौत के बाद उमेश पटेल ने परिवार की सियासी विरासत को आगे बढ़ाया. साल 2013, 2018, 2023 का चुनाव जीते. सदन से लेकर पार्टी स्तर पर उनकी पकड़ मजबूत है. उमेश पटेल राजनीति में अभी लंबी पारी खेलने को तैयार हैं.


विजय कुमार गुरु के बेटे रूद्र गुरु: वहीं रूद्र गुरु की बात की जाए तो उनके पिता विजय कुमार गुरु अविभाजित मध्य प्रदेश के समय विधायक थे. रूद्र गुरु 2018 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीते और मंत्री भी बने. अब उनके स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ बातें सामने आई हैं. आगे की उनकी राजनीतिक पारी कैसी रहेगी फिलहाल ये नहीं कहा जा सकता है. वो युवा हैं और उनमें असीम संभावनाएं हैं.

अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी: अजीत जोगी के बेटे में अमित जोगी बात की जाए तो उनकी अपनी एक राजनीतिक शैली है , लेकिन वह कांग्रेस में जब तक थे, तब तक अपना महत्व था, उन्होंने अलग पार्टी बनाई पिता के साथ तब भी हलचल थी, लेकिन वर्तमान की बात की जाए , तो वह शांत नजर आ रहे हैं।

सत्यनारायण शर्मा के बेटे पंकज शर्मा: सत्यनारायण शर्मा के बेटे पंकज शर्मा की बात की जाए, तो वे अपने पिता की छाया बनकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. जनता के बीच जाकर वो काम करते रहे हैं. कहा जाता है कि पंकज शर्मा में एक अच्छे नेता के जो गुण होने चाहिए वो नजर आते हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में रायपुर ग्रामीण सीट से पंकज शर्मा भारतीय जनता पार्टी कैंडिडेट मोतीलाल साहू से हार गए.

डॉ रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह: पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह हैं. रमन सिंह ने अपनी विरासत अपने पुत्र अभिषेक सिंह को दी है, जो की पूर्व में सांसद रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने अभिषेक को राजनांदगांव से लड़वाना उचित नहीं समझा, जबकि वह उस दौरान सांसद थे. माना जाता है कि अभिषेक सिंह के पास राजनीति करने का लंबा वक्त है. लोकसभा में भी पांच साल बोल चुके हैं. उनका सियासी और बौद्धिक स्तर भी बढ़िया है.

बृजमोहन अग्रवाल के भाई विजय अग्रवाल: बीजेपी के दिग्गज और अजेय नेता बृजमोहन अग्रवाल आठ बार के विधायक रहे. हाल ही में उन्होंने रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा की टिकट से जीत हासिल की और सांसद बन गए. ऐसे में रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट खाली हो गई. संभावना जताई जा रही है कि इस पर विजय अग्रवाल जो की बृजमोहन अग्रवाल के भाई हैं उनको टिकट दिया जा सकता है.

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