बिलासपुर: रायपुर निवासी महिला की शादी केरल निवासी रियाज मोहम्मद से हुई था. कुछ समय बाद महिला पति के साथ दुबई चली गई. 19 फरवरी 2014 को बच्ची का जन्म हुआ, लेकिन पति के व्यवहार और विवाद के कारण 2016 में पत्नी अपनी बच्ची को लेकर रायपुर वापस आ गई. दोनों पक्षों में बच्ची की अभिरक्षा के संबंध में विवाद शुरू हो गया और मामला कोर्ट पहुंचा. एक बार पति जबरदस्ती बच्ची को अपने साथ ले गया, इस पर पत्नी ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश की. कोर्ट के आदेश पर 7 नवंबर 2016 को बच्ची मां को वापस सौंप दी गई.
बच्चे का ख्याल मां ज्यादा रख सकती है या पिता ? जानिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने क्या कहा
Chhattisgarh High Court छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बच्ची की कस्टडी माता पिता में से किसी एक को देने पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने एक की याचिका खारिज कर दी.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Feb 16, 2024, 1:35 PM IST
पिता ने अच्छी परवरिश का हवाला देकर मांगी बच्ची की कस्टडी: मां से बच्ची को लेकर अपने पास रखने और बेहतर जिंदगी देने की बात कहते हुए एक पिता ने परिवार न्यायालय में याचिका दायर की. पिता ने तर्क दिया कि बच्ची के जन्म के बाद पता चला कि वह किडनी की बीमारी से पीड़ित है. मां उस बच्ची का इलाज करने में असमर्थ है, बच्ची स्वस्थ रूप में बड़ी हो इसलिए उसकी कस्टडी पिता के हाथों में देनी चाहिए. याचिका की सुनवाई करने के बाद रायपुर की परिवार न्यायालय ने पिता की अपील खारिज करते हुए बच्चे की कस्टडी मां के पास ही रहने का फैसला सुनाया. इसके बाद पिता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बच्ची की कस्टडी दिलाने की मांग की.
कोर्ट ने क्या कहा:गुरुवार कोइस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई के बाद पिता की अपील खारिज कर दी. कोर्ट ने बच्ची की कस्टडी मां के पास ही रहने का परिवार न्यायालय का फैसला यथावत रखा. कोर्ट ने कहा "बच्ची के संरक्षण का अधिकार मां को दिया जाता है. बच्चे के समग्र विकास के लिए उसकी मां का साथ जरूरी है. एक लड़की होने के नाते बच्ची की कस्टडी मां को सौंपना ज्यादा उचित होगा. सिर्फ पिता होने के आधार पर बच्ची की कस्टडी नहीं दी जा सकती." मामले में जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस संजय श्याम अग्रवाल ने डिवीजन बेंच में फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्ची का बेहतर भविष्य मां के संरक्षण में हो सकता है.